सैर कर दुनिया की गाफिल ....


Introdection of  
"PRANAM PARYATAN" 

'PRANAM PARYATAN' is India's first and also world's first travel and tourism magazine in HINDI. The objective of the magazine is to provide know-how about tourism and travel destinations. both national and international along with historical cultural, traditional facts and information.
It is worth nothing that, hindi speaking tourists constitute about 45% of total national tourist, even though there is not one travel magazine in hindi (national language of India).'Pranam paryatan' is one such effort to satisfy Hindi speaking tourists.

'Pranam paryatan' also provides for Indian art & culture, history, spirtuality tradition that glorifies the rich culture of India.
The magazine’s editorial board includes national and international writers, historian & tourists, who have contributed for succesful publishing of articles.

`PRANAM PARYATAN`,India's premium travel and culture quarterly magazine launched in 2016 ,Pranam Publishing House,Lucknow under the editorship of  Mr. Pradeep Srivastava. 
PRANAM PARYATAN aims to promote the Hindi language,  philosophy, history, culture, architecture, fashion, art ,literature (story & poem) and folklore in both the ancient and modern context. culture and the rich heritage of the world. It focuses on Tourism. India's  It is a magazine with some thing for everyone - the gourmet, the scholar, the architect. 
`PRANAM PARYATAN` has provided a forum for Hindi writers,through the magazine. It has brought local and international writers together to foster the spirit of friendship and harmony.
  'प्रणाम पर्यटन'
पत्रकारिता के  साथ-साथ, घूमना-फिरना भी मेरा एक शौक रहा है.जिसका एक कारण यह भी है की काम के सिलसिले में जैसे समाचार संकलन करने के अलावा संसदीय वा विधान सभा के चुनावों कों भी कवर करना ,उस दौरान जो भी समय मिलता उसका उपयोग उस जगह के स्थानों कों देखने के कर लेता . कुछ घूमना तो नौकरी खोजने  के लिए हुआ तो कुछ नौकरी के दौरान. लेकिन आज भी घूमना जरी है. जब भी मौका मिलता है घुमाने निकल जाता हूँ.देश के बाहर नहीं जा पाया ,विदेश के नाम पर केवल नेपाल कि यात्रा ही की है.वह भी काठमांडू के निकट पाल्पा (वहां का तानसेन जिला) एवम बहराइच से लगे नेपाल गंज की.जहाँ तक में समझताहूँ कि भारत में क्या नहीं है देखने लायक .हर चीज तो है अपने इस देश में.आसम से लेकर तमिलनाडु तक की यात्रा. की ,एक - दो  राज्य ही हैं जिन्हें अभी नहीं देख पाया हूँ. लोग दुबई जाते ,थाईलेंड ,मलेशिया ,आस्ट्रलिया आदि जाते हैं. में कहता हूँ कि वहां से अच्छा है कि आप अंडमान निकोबार कि यात्रा करें ,एक बार अगर आप वहां गए तो फिर दूसरी बार कहीं ओंर नहीं जायेंगे.पिछले 35 वर्षों से घूम रहा हूँ.पहली बार यात्रा कब की ठीक से याद नहीं ,हाँ सन 1972  में पिताजी के साथ पहली बार सपरिवार फैजाबाद से मेरठ गया  था ,क्यों कि पिता जी उन दिनों वहीँ पर राजस्व विभाग में थे .तब उनके साथ हम लोगों ने मेरठ के साथ -साथ हरिद्वार ,देहरादून एवं मसूरी देखा .बस तभी से घुमने  का जो चस्का लग वह आज भी बदस्तूर जारी है .उन दिनों रेलगाडियों में रिजर्वेशन जैसी सुविध नहीं थी.प्रथम वा द्वितीय श्रेणी के टिकट होते थे .हम लोगों ने  द्वितीय श्रेणी मैं यात्रा की थी.ख़ैर उसके  बाद 1976  में वाराणसी पढ़ने चला गया ,फिर अकेले यात्रा जो शुरू  हुई तो आज बदस्तूर जारी है.
उन दिनों राहुल सांकृत्यान  जी का एक लेख भी पढ़ा था जिसका शीर्षक था घुमंतो अथ जिज्ञासा ,जिसकी दो पंक्तियाँ हैं ...
सैर कर दुनिया की गाफिल ,जिंदगानी फिर कहाँ |
जिंदगानी गर रही  तो, नव जवानी फिर कहाँ.
इस ब्लाग के माध्यम से में आप सब कों देश के कुछ अच्छे जगहों के बारे में जानकारी देने का प्रयास हिंदी में करूँगा.क्यों कि पर्यटन पर अंग्रेजी में काफी सामग्री उपलब्ध है,लेकिन हिंदी में न के बराबर.कुछ पत्र-पत्रिकाएं इस पर जानकर देतीं जरुर हैं पर वह भी व्यवसायिक तौर पर.
बस इसी  प्रेरणा ने मुझे हिन्दी में 'पर्यटन पर पत्रिका निकालने को मजबूर किया ॰ जिसका परिणाम आप के सामने है ॰ आप अपने विचारों से अवगत जरुर करते रहियेगा.जिससे मुझे लिखने की प्रेरणा  मिलती  रहे.
जय पर्यटन
प्रदीप श्रीवास्तव
नवरात्रि, 19 सितम्बर 2009
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