निज़ामाबाद का नील कंठेश्वर मंदिर
जहाँ पूरी होती है मनोकामना
लगभग चार लाख की आबादी वाले निज़ामाबाद शहर में स्थित है नील कंठेश्वर यानि भगवन शिव जी का विशाल मंदिर. बताते हैं की यह मंदिर लगभग १४ सो पुराना है. जो जैन एवम आर्यों की शिल्प कला कों अपने में समेटे हुए है. कहतें हैं की शातवाहनकल के दुतीय रजा पुल्केशी द्वारा जेन धरम स्वीकार लिए जाने के कारण इस मंदिर कों जेन मंदिर के रूप में विकसित किया गया.वहीँ पुराणो में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है,. कहते हैं की काकतिया वंश के राजाओ ने बाद में इस मंदिर कों शिवालय के रूप में स्थापित किया.किवदंती है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग भगवन विष्णु कि से प्रकट हुआ था. इस लिए इसे नील कंठेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है.लगभग तीन एकर के विशाल क्षेत्र में बने मंदिर के परिसर में कुंड के अलावा हनुमानजी ,माँ पार्वती,गणेश भगवान ,विट्ठल भगवान के मंदिरों के साथ ही पंचवटी अर्थात पीपल,नीम ,बढ,गुलेर एवम जंबी के विशाल पेड हैं.कहावत है कि इन पाँचों पेड़ों कों संतान वृक्ष के रूप में मना जाता है.किवदंती है कि निः:संतान दंपत्ति यदि इन पेड़ो कि परिक्रमा कर ले तो उसकी मनोकामना पूरी होती है.संतान के साथ-साथ उसे धन व यश भी मिलता है.महाशिवरात्रि के अवसर लाखों भक्त बाबा भोले नाथ के दर्शन के पुन्य प्राप्त करते हैं.
कैसे पहुंचे:
निज़ामाबाद सिकंदराबाद-नांदेड मार्ग पर स्थित है. जो रेल सड़क मार्ग से जुडा हुआ है.निकतम हवाई अड्डा हैदराबाद (२०० किलो मीटर )एवम नांदेड (१३० किलो मीटर )है.
सिकंदराबाद ,नादेड ,आदिलाबाद से सरकारी बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं.
कहाँ रुकें :निज़ामाबाद में सरकारी विश्राम गृह,के अलावा होटल भी हैं .
क्या देखें:
निज़ामसागर, अशोक सागर,कोलस किला. दिचपल्ली का रामालय के अलावा ४० किलो मीटर दूर में सरस्वती जी का विशाल मंदिर,जो बासर में स्थित है
प्रदीप श्रीवास्तव
महाशिवरात्रि ,१२ फरवरी ,२०१०
जहाँ पूरी होती है मनोकामना
लगभग चार लाख की आबादी वाले निज़ामाबाद शहर में स्थित है नील कंठेश्वर यानि भगवन शिव जी का विशाल मंदिर. बताते हैं की यह मंदिर लगभग १४ सो पुराना है. जो जैन एवम आर्यों की शिल्प कला कों अपने में समेटे हुए है. कहतें हैं की शातवाहनकल के दुतीय रजा पुल्केशी द्वारा जेन धरम स्वीकार लिए जाने के कारण इस मंदिर कों जेन मंदिर के रूप में विकसित किया गया.वहीँ पुराणो में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है,. कहते हैं की काकतिया वंश के राजाओ ने बाद में इस मंदिर कों शिवालय के रूप में स्थापित किया.किवदंती है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग भगवन विष्णु कि से प्रकट हुआ था. इस लिए इसे नील कंठेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है.लगभग तीन एकर के विशाल क्षेत्र में बने मंदिर के परिसर में कुंड के अलावा हनुमानजी ,माँ पार्वती,गणेश भगवान ,विट्ठल भगवान के मंदिरों के साथ ही पंचवटी अर्थात पीपल,नीम ,बढ,गुलेर एवम जंबी के विशाल पेड हैं.कहावत है कि इन पाँचों पेड़ों कों संतान वृक्ष के रूप में मना जाता है.किवदंती है कि निः:संतान दंपत्ति यदि इन पेड़ो कि परिक्रमा कर ले तो उसकी मनोकामना पूरी होती है.संतान के साथ-साथ उसे धन व यश भी मिलता है.महाशिवरात्रि के अवसर लाखों भक्त बाबा भोले नाथ के दर्शन के पुन्य प्राप्त करते हैं.
कैसे पहुंचे:
निज़ामाबाद सिकंदराबाद-नांदेड मार्ग पर स्थित है. जो रेल सड़क मार्ग से जुडा हुआ है.निकतम हवाई अड्डा हैदराबाद (२०० किलो मीटर )एवम नांदेड (१३० किलो मीटर )है.
सिकंदराबाद ,नादेड ,आदिलाबाद से सरकारी बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं.
कहाँ रुकें :निज़ामाबाद में सरकारी विश्राम गृह,के अलावा होटल भी हैं .
क्या देखें:
निज़ामसागर, अशोक सागर,कोलस किला. दिचपल्ली का रामालय के अलावा ४० किलो मीटर दूर में सरस्वती जी का विशाल मंदिर,जो बासर में स्थित है
प्रदीप श्रीवास्तव
महाशिवरात्रि ,१२ फरवरी ,२०१०
6 टिप्पणियाँ
बहुत ही सुन्दर चित्र और अच्छा वर्णन
जवाब देंहटाएंफोटो बहुत सुन्दर है।
जवाब देंहटाएंBahut sundar chitr tatha achhee maloomaat!
जवाब देंहटाएंMai kuchh samay Nizamabaad me rah chuki hun..wo smrutiyan ujagar ho gayin!
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी आपकी रचना .. इस नए चिट्ठे के साथ हिन्दी चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंकली बेंच देगें चमन बेंच देगें,
जवाब देंहटाएंधरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,
कलम के पुजारी अगर सो गये तो
ये धन के पुजारी
वतन बेंच देगें।
हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में प्रोफेशन से मिशन की ओर बढ़ता "जनोक्ति परिवार "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . नीचे लिंक दिए गये हैं . http://www.janokti.com/ ,