विश्व पुरातत्व दिवस (18 मई ) पर विशेष
इतिहास बन गया निजामाबाद का पुरातत्व संग्रहालय
प्रदीप श्रीवास्तव
प्रदीप श्रीवास्तव
निजामाबाद (तेलंगाना)। निज़ाम के समय के दुर्लभ वस्तुओं को आम लोगों से परिचित
करने वाला निजामाबाद का पुरातत्व संग्रहालय गत कई वर्षों से बंद पड़ा है । जिसके कारण
इतिहास में रुचि रखने वालों को इतिहास से वंचित
होना पड़ रहा । पता हो कि कल 18 मई को विश्व पुरातत्व
दिवस है । जिस दिन दुनिया भर में पुरातत्व प्रेमियों के लिए संगोष्ठी ,परिचर्चा , भ्रमण आदि कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है । इस संदर्भ में जब यह संवाददाता शहर स्थित तिलक गार्डन
में बने पुरातत्व संग्रहालय के अधिकारियों से बात करने के लिए वहाँ गया तो पता चला
कि कई वर्षों से यह संग्रहालय जीर्णोद्धार के नाम पर बंद है, इस संवाददाता को बताया
गया कि तेलंगाना राज्य के गठन के बाद सन 2015 से इसे रख-रखाव के लिए बंद कर
दिया गया है । जिस भवन में यह संग्रहालय है उसके जीर्णोद्धार के लिए पुरातत्व विभाग द्वारा पचास लाख रुपए स्वीकृत हुए थे।
जिससे बाहरी दीवारों का तो रंगरोगन कर दिया गया है ,लेकिन भीतर क्या हुआ
इसका पता नहीं चल पा रहा है । संग्रहालय परिसर में कार्यरत एक व्यक्ति ने बताया कि
यहाँ पर जो पुरातात्विक दुर्लभ सामाग्री थीं उनमें से कुछ को हैदरबाद संग्रहालय को
भेजा गया था ,लेकिन और को
कहाँ भेजी गई इसका पता नहीं चल पाया । मज़े कि बात यह है कि इन दिनों पुरातत्व
विभाग से संबन्धित न तो कार्यालय है और न ही कोई अधिकारी ,जिससे जानकारी ली
जा सके । वहीं जिस परिसर में यह संग्रहालय है वहाँ पर जिला प्रशासन ने मनोरंजन के लिए
एक पार्क का निर्माण करवा रखा है ,जिसे तिलक गार्डन
के नाम से जाना जाता है। इस पार्क में सुबह से शाम तक सैलानियों की भीड़ रहती है । जिसका
प्रवेश शुल्क दस रुपये है, उसी टिकट पर दर्शक संग्रहालय को भी देख सकते हें
। लेकिन संग्रहालय के बंद होने से लोगों को निराश होना पड़ रहा है ।
उल्लेखनीय है कि जिस भवन में यह संग्रहालय है वह कभी 'टाउन हाल ‘ के नाम से जाना जाता था , जिसका निर्माण 1936 में नवाब मीर उस्मान
आली खान ने कराया था । जिसे उस समय नगर पालिका के कार्यालय के रूप में उपयोग लाया जाता
था । लेकिन बाद में म्यूनिसपल कार्पोरेशन
की अपनी बिल्डिंग बनने के बाद यह भवन खाली होगया । तब सन
2000 में तत्कालीन जिलाधीश के अनुरोध पर हैदराबाद
स्थित पुरातत्व एवं संग्रहालय के आयुक्त से
इस भवन में म्यूजियम स्थापित करने का सुझाव दिया था ,जिस पर उन्होने टाउन
हाल का निरीक्षण के लिए विभाग का एक दल निजामाबाद भेजा
। जिसकी संतुति के बाद टाउन हाल में जिला पुरातत्व एवं म्यूजियम की स्थापना की गई ।
जिसका सौंदर्यकरण के बाद 24 अक्तूबर 2001 को विधिवत शुभारंभ
हो गया । जिसमे निज़ामकाल के अलावा 16 वीं शताब्दी के समान
तो थे ही साथ ही विजय नगर काल के बालुवा पत्थर
का बना प्रवेश द्वार देखने लायक है । जिसे संग्रहालय के बाहर आज भी रखा हुआ है। इसके
अलावा कांस्य , पीतल ,मिट्टी के दुर्लभ वस्तुएँ भी राखी थीं । इस संवाददाता लगभग दस साल पहले स्वयं
इन वस्तुओं को संग्रहालय में देखा था, जो अपने आप में दुर्लभ थीं । इस संग्रहालय में तीसरी
व चौथी शताब्दी सिक्के भी हुआ करते थे। जो सातवाहन काल के बताए जाते थे। वही काकतीया ,क़ुतुबशाह तथा विजयनगरम
रियासत के महत्वपूर्ण शस्त्र , मूर्तियाँ भी हुआ करती थीं। इस संग्रहालय की एक विशेषता यह भी है कि यहाँ पर
जैन,पार्श्वनाथ ,गणेश बीरभद्र ,चौमुंडी एवं चेन्न्केशाव भगवान की दुर्लभ मूर्तिया भी थीं। इस संग्रहालय में
गंगा ,यमुना एवं सरस्वती की विशेष दुर्लभ प्रतिमाएँ भी रखी थीं।
प्रश्न यह उठता है कि आखिर इस संग्रहालय को बंद क्यों किया
गया ? निजामाबाद में निज़ाम काल के इतिहास को आने वाली पीढ़ी को अवगत कराने वाले म्यूजियम से लोग अपने अतीत का इतिहास जानते
। स्थानीय लोगों को चाहिए कि इस संग्रहालय को शीघ्र सुरू करवाने का प्रयास करवाएँ ।
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