शायद आपने कभी तालाबों,पोखरों,जलाशयों,नदियों एवं नाले- नालियों में आए दिन मेंढक देखें होंगे। बरसात के दिनों में बहुत ही बार देखा होगा। लेकिन पीले रंग का मेंढक शायद ही देखा होगा। मैंने तो अपनी इस उम्र तक नहीं देखा । इस बरसात में मेरे घर के आस-पास वह इंद्रपुरी कॉलोनी लखनऊ  में कई जगहों पर पीले रंग के मेढकों को भारी तादाद में देखा जा सकता है ।चटकीले पीले रंग के ये  मेंढक लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। इन मेढकों को लेकर तरह-तरह की  कहानियां व किंवदंतियां कहीं जा रही है। लेकिन सत्यता की कोई पुष्टि नहीं हो पा रही है।यदि आप के पास इन "पीले रंग" वाले  मेढकों  के बारे में कोई जानकारी हो तो जरूर शेयर करें। ताकि  सभी को पता चल सके इन मेढकों के बारे में ।
इस संदर्भ मैं बहुत सी जंकरियन भी आईं , तो बहुत से लोगों ने मेरे इस वाल को प्रश्नवाचक निगाहों से भी देखा। वह इस लिए कि उन्हें कहीं संदेह था इस पीले मेढक को लेकर कर कि यह बनावटी पोस्ट है । एक साहब ने तो मेरे चालीस वर्षीय पत्रकारिता पर ही प्रश्न चिन्ह ही लगा दिया।
जिसे सिद्ध करने के लिए गत एक सप्ताह से बारिस की प्रतीक्षा करता रहा, जब सोमवार 20 जुलाई कि शाम मेरे क्षेत्र में बरिस हुई तो अल सुबह लगभग चार बजे उठ कर अंधेरे में यह फोटो व वीडियो बनाई ,खास कर आप सभी के लिए। अगर अभी भी कहीं कोई शंका हो तो उसका ईलाज संभव नहीं।
साथ ही  पीले मेढक  के बारे में जानकारी भी:-
बुलफ्रॉग के तौर पर मशहूर
ये मेंढक आमतौर पर महाराष्ट्र में ही नजर आते थे. ऐसा पहली बार है कि इन्हें मध्य प्रदेश में भी देखा गया. मेंढकों की इस प्रजाति को इंडियन बुलफ्रॉग के नाम से जाना जाता है. वैसे तो इन्हें झुंड में रहना पसद नहीं है और समुद्री इलाकों के आस-पास ही पाए जाते हैं, मगर बीते कुछ सालों से इन्हें आबादी वाले क्षेत्रों में भी देखा जा रहा है. जीव विज्ञानी इंडियन बुलफ्रॉग की इस प्रजाति को ‘होपलोब्राटेचस टाइगरिनस’ (Hoplobratrachus tigerinus) कहते हैं. इस प्रजाति के मेंढक भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, अफगानिस्तान और श्रीलंका में भी पाए जाते हैं. ये आमतौर पर भूरे रंग से लेकर ऑलिव ग्रीन कलर तक में होते हैं, लेकिन मेटिंग के दौरान ये पीले रंग के नजर आते हैं.
इस प्रजाति के मेंढक जहरीले नहीं होते हैं. ये सिर्फ मेटिंग के लिए इकट्ठा होते हैं. फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को नियंत्रित करने के लिए खेतों के आस-पास इनकी मौजूदगी काफी फायदेमंद बताई जाती है.

जिज्ञासा व प्रतिक्रियाएँ :-
 नंदा पांडे: आश्चर्य है। डा. श्वेता दीप्ति :मैंने पिछले साल देखा था मुझे भी आश्चर्य लगा था । डॉ सुनीता मिश्रा :अद्भुत ..मैंने पहली बार देखा । सरिता सुराणा :ये तो सचमुच अजूबा है। इनके बारे में न कभी सुना और न ही देखा। भगवान दस लखानी:प्रति वर्ष पहली बरसात में दिखते हैं कोई नई बात नहीं सुना है कि जहरीले होते हैं । एस एस डोगरा:प्रक्रति के रंग निराले कोई तो है इन्हें सम्भाले । सत्या शर्मा कीर्ति :बहुत आश्चर्यजनक । कुमुद श्रीवास्तव : ये तो मेरे घर में घुस आया था बारिश में दर असल आगे पीछे बहुत प्लाट खाली हैं तो पीले रंग के बड़े बड़े मेंढक हैं । सुषमा यदुवंशी : गज़ब । परमात्मा मिश्र  : पहले हम लोग गांव में इस तरह के पीले मेढक बरसात के समय खूब देखते थे। इधर कई वर्षों से बरसात के समय गांव में नहीं रहने के कारण इसके बारें में नही बता सकते और इस साल भी अभी तक नहीं दिखे। उमा शर्मा  : पहली बार देख रही हूं जबकि मैं खु‌द एक science student वह भी zoology मेरा विषय‌रहा है,, गजबनूतन सिन्हा :वाह गजब पहली बार पीला मेंढक देख रही हूँ । पूनम ठाकुर : अण्डमान निकोबार द्वीपसमूह में पीले मेढक खूब हैंनीतू गुप्ता :मैं पहली बार देख व सुन रही हूं । शैलेश कुमार श्रीवास्तव  : गांव में दिखते थे, बरसात के मौसम में। हरकिरत हीर : अरे ! बड़े सुन्दर दिख रहे हैं ..मेरी कामवाली ने बताया इधर टी गार्डन में होते हैं ऐसे मेढक .. निशि पराग सक्सेना : Amazing seeing it for the first time । Ruchi Verma :I have seen first time but read few articles they are not जयप्रकाश नागला  : मैंने भी पहली बार आपकी पोस्ट में देखे है ।  संध्या श्रीवास्तव : Amazing । कुमार किशन  : गलती से चाइना के हाथ लग जाये तो पूरा परिवार की तैवहार ही हो जाएगा ।  सविता तिवारी  : it is Phyllobates terribilis. One of most poisonous frog. दूर रहीए और विशेषकर बच्चों को तो दूर ही रखिए इससे. बहुत खतरनाक होता है इसका जहर. । कश्तीजी सक्सेना : phyllobates terribilis प्रजाति यहाँ नहीं पाई जाती है bull frog male हैं ये, यह बहुत सामान्य घटना है मेंढक की इस प्रजाति को bull frog के नाम से जाना जाता है ये एक सामान्य आमतौर पर खेतों, जंगलों या पोखरों इत्यादि में पाई जाने वाली प्रजाति होती है जिसके नर मेंढक mating season में पीले रंग के हो जाते हैं चूंकि यह बरसात का मौसम है । अमित अंबष्ठा : ये मिट्टी के अंदर रहते है , बरसात में निकल कर बाहर आ जाते हैं , बचपन में बहुत बार देखा है बिहार हाजीपुर में , अब मौका नहीं मिलता ।डॉ शशि सिंघल : वाह गजब ....पहली बार पीले मेंढक देख रही हूँ  । एके गांधी :It may be a result of mutation । विमल पाठक :प्रदीप जी इस तरह का vedio नरसिंह पुर MP का भी चल रहा है,अब आप ही सही स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं कि ये मेंढक कहाँ देखे गए ? Vimal Pathak विमल पाठक जी यह मेंढक लखनऊ के आई आई एम रोड स्थित इंद्रपुरी कॉलोनी में मेरे घर से लगी खाली जमीन पर 5 दिन पहले मैंने अपनी नंगी आंखों से देखा है। उसके बाद 2 दिन पानी जरूर बरसे लेकिन फिर से दिखाई नहीं दिए। मैं अपनी निगाह रखे हुए हूँ ।