पक्षियों के घोसले सहित लाखों की वन संपदा जल कर खाक
विजय चौधरी / प्रणाम प्रतिनिधि
औरंगाबाद (5मार्च 2021) कभी कुछ दिनों की राजधानी का दर्जा प्राप्त करने वाली महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित दौलताबाद किले परिसर में शुक्रवार को अचानक आग लगाने के कारण लाखों की वन संपदा के जलकर खाक होने के अलावा परिसर में रह रहे वाणी जीवों के भी हताहत होने की खबर है । यद्यपि खबर लिखे जाने तक आग लगाने के कारणो का पता नहीं लग पाया था । लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक किले के नीचे स्थित शाही हमाम खाना में दोपहर बाद अचानक आग लगी ,जिसने कुछ ही देर में पूरे परिसर को अपनी चपेट में ले लिया। जब कि कुछ लोगों का कहना है कि दोपहर दो बजे के आस-पास किला परिसर में घूम रहे पर्यटकों ने सबसे पहले किले के पहाड़ी पर काला धुआँ देखा , जिनके शोर मचाने पर किला परिसर में कम कर रहे दस-से बारह मजदूरों ने उसे भूझने का प्रयास किया ,लेकिन सफल नहीं हो सके। उधर यह खबर आग की तरह किले के अंदर एवं आस-पास केक्षेत्रों में फैल गई। आग की खबर मिलते ही परिसर में स्थित पुरातत्व कार्यालय के कर्मचारियों ने तुरंत पुलिस व जिला प्रशासन को दी।
बताया जाता है कि इस तरह की आग हर साल इन महीनों में लगती ,जिसकी जानकारी पुरातत्व विभाग के साथ साथ जिला प्रशासन को भी है,लेकिन आज तक इस संदर्भ में कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए हैं। इस परिसर मैं इस भीषण गर्मी में आग लगाना स्वाभाविक ही है। किला परिसर मैं सूखे घास फूंस का अम्बार ही रहता है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि किसी के द्वारा सिगरेट या बीड़ी पीआईआई कर बिना बुझाये परिसर मैं फेंक दिया गया हो ,जिसके कर्ण आग लगी हो। उल्लेखनीय है कि इसी तरह करीब तीन साल पहले अचानक लगी आग को बुझाने के प्रयास में अब्दुल कादिर नामक एक कर्मचारी की मौत भी हो गई थी।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण सहायक संजय बी रोहनकर ने घटना की जानकारी मिलते ही आग बुझाने के लिए रवि घाटे, सोमनाथ पल्हाल, आसाराम काले और सीताराम धानित सहित दस-बारह कर्मचारियों के साथ मौके पर गए। सभी ने आग बुझाने का प्रयास किया।उनहों ने बताया कि इस आग से किला परिसर के ऐतिहासिक संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है । सभी पर्यटकों को सुरक्शित बाहर निकाल दिया गया था। संजय रोहणकर ने बड़े दुखी मन से कहा कि कष्ट तो तब हुआ जब परिसर मैं अति उत्साहित पर्यटक आग बुझाने के बजाय अपनी सेलफ़ी लेने में व्यस्त दिखाई दिये। पता हो कि तीन सौ एकड़ में फैले किला परिसर में बारादरी, गणपति मंदिर, संत जनार्दन स्वामी महाराज की पादुका, कई तोपें और यह ऐतिहासिक चीजें सुरक्षित है। दुख इस बात का भी है कि आग से पक्षियों के घोंसले भी जल कर रख होगाए हैं। ।परिसर में मोरों की संख्या भरी मात्र में है । जिन्हें आग के दौरान इधर से उधर उड़ते व भागते हुए देखा गया है।
0 टिप्पणियाँ