विजय चौधरी
औरंगाबाद शहर को सिटी ऑफ गेट्स के नाम से भी जाना जाता है। शहर की यह अनोखी विशेषता कही जाती है । किसी समय औरंगाबाद शहर में कुल 52 द्वार (दरवाजें) हुआ करते थे। इतिहास के पन्नों को पलटें तो कभी यह शहर मुगलों की एक सैन्य कोतवाली थी,जिसके करण शहर की सुरक्षा के लिए इतनी संख्या में द्वार बना कर सुरक्षा व्यवस्था करना समय की आवश्यकता रही होगी । समय काल के थपेड़ों के चलते आज अनेक दरवाज़े नष्ट हो गए ।वर्तमान में 52 में से केवल 13 दरवाजे ही बचे हैं । एशिया महाद्वीप में सबसे तेजी से विकसित हो रहे शहर के रूप में औरंगाबाद भारत के महाराष्ट्र प्रदेश की पर्यटन, औद्योगिक, शिक्षा और ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो एक महत्वपूर्ण शहर है.
औरंगाबाद का इतिहास है कि यहां पर यादव, खिलजी, ब्राह्मणी, मोगल और निजामशाही शासन का दौर रहा है । यहां बीबी का मक़बरा, पनचक्की, मस्जिद, अनेक भव्यदिव्य दरवाजे, सीमाबंदी, कला चबूतरा, हिमायतबाग, सुभेदारी, नवखंडा पैलेस, दगडी महल, गुलशन महल आदि स्मारकों का निर्माण हुआ मध्य युगीन काल में इसे ‘खड़की’ नाम से जाना भी जाना जाता था । कालांतर में यह शहर “औरंगाबाद” के नाम जाना जाने लगा। जिस समय निजामशाही की राजधानी अहमदनगर थी उस समय अहमदनगर का मुर्तुजा निजामशाह के आदेश से वजीर मालिक अम्बर द्वारा ईसवी सन 1610 में अपनी राजधानी अहमदाबाद के बजाए खड़की बनाई । अंबार मलिक ने खड़की शहर के भगौलिक क्षेत्र का अवलोकन कर शहर को सही पहचान दी । मुगल शासन में औरंगजेब ने शहर का विस्तार किया । कहते हैं की इसलिए आगे चलकर औरंगजेब के नाम पर ही इस शहर का नाम औरंगाबाद प्रचलन में आया । दक्खन का ताजमहल के रूप में उल्लेखित बीबी का मकबरा, नहरी अंबरी, विविध मस्जिद, बड़ी संख्या में प्रवेशद्वार और सीमा चौकी आदि ऐतिहासिक जगहें आज भी इस औरंगाबाद शहर में स्थित हैं । उस दृष्टि से पर्यटकों का औरंगाबाद शहर की ओर आकर्षित होना स्वाभाविक है।
औरंगाबाद शहर का इतिहास चार सौ साल पुराना है। सन 1610 में निजामशाह का सरदार मलिक अंबर द्वारा खड़की नाम से शहर स्थापित किया ,आगे चलकर मलिक अंबर का पुत्र फ़तेह खान द्वारा खड़की का नाम बदलकर फतेहनगर कर दिया गया । सन 1633 में मुग़लों द्वारा निजामशाही का अंत कर फतेहनगर पर कब्ज़ा कर लिया गया. सन 1653 में औरंगजेब ने फतेहनगर को राजधानी बनाने की घोषणा कर नाम औरंगाबाद कर दिया । औरंगाबाद को दरवाजों का शहर भी कहा जाता है. मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने औरगांबाद को राजधानी बनाने के बाद दीवारों के सहारे 54 रास्तों को आपस में जोड़े । मराठों से राज्य सुरक्षित रखने के लिए सन 1682 में बड़ी दीवार का निर्माण करवाया गया. इस दीवार में मुख्य और उप मुख्य ऐसे कुल 54 दरवाजें बनवाएं गए. उनमें से कुछ द्वार अभी अस्तित्व में हैं और कुछ नामशेष होने की कगार पर हैं. पेयजल के लिए 14 नहरों का निर्माण करवाया गया था जिनमें से दो नहरें स्रोत के रूप में अभी जीवित हैं । औरंगजेब अपनी मौत के अंतिम समय तक औरंगाबाद में ही रहा. औरंगजेब की मौत के बाद औरंगाबाद हैदराबाद के निजाम की राजधानी में शुमार हो गया । स्वतन्त्रता के बाद 17 सितंबर 1948 को हैदराबाद को निजाम शासन से मुक्त करवाया गया। 1 नवंबर 1953 को औरंगाबाद के साथ मराठवाड़ा संभाग को तत्कालीन हैदराबाद राज्य से निकालकर बॉम्बे राज्य में मिला दिया गया ।
औरंगाबाद जिले का क्षेत्रफल 10,100 वर्ग किलोमीटर है तथा जनसंख्या 37.01 लाख है। जिले की प्रमुख फसल कपास, बाजरी, मक्का, अरहर (तुअर) दाल, ज्वार, गेंहू हैं । जिले से लग कर तीन नदियां गोदावरी, तापी और पूर्णा बहती हैं । वर्ष 2011 की जनगणनानुसार, जिले में कुल लोकसंख्या की 43.8 प्रतिशत जन्संख्या शहर में निवास करती हैं और 45.2 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र में । आंकड़ों के मुताबिक प्रति हज़ार पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं की संख्या 923 है।वहीं साक्षारता का प्रतिशत पुरुषों में 87.4 एवं महिलाओं का 70.1 है।
पर्यटन स्थल
अजंता - वेरुल गुफाएं : 5 वीं से 8 वीं शताब्दि में साकारित गुफाएं ।
दौलताबाद किला : मोहमद तुग़लुक की राजधानी।
खुलताबाद : श्री भद्रा मारुती मंदिर, बनी बेगम बाग़, मुग़ल बादशाह औरंगजेब की कब्र, निजाम कालीन विश्रामगृह (रेस्ट हाउस)
बीबी का मकबरा : बेगम राबिया (औरंगजेब की पत्नी की कब्र), पनचक्की
घृष्णेश्वर मंदिर : विश्वप्रसिद्ध शिल्पकलायुक्त गुफा, बारह ज्योतिर्लिंग में से एक (बारहवें ज्योतिर्लिंग), शहाजीराजे भोसले का स्मारक, वेरुल पर्यटन केंद्र।
पैठण : संत एकनाथ का गांव
जायकवाड़ी बांध : नाथसागर
राजकीय संरचना
लोकसभा : औरंगाबाद, कन्नड़, खुलताबाद, गंगापुर, वैजापुर, सिल्लोड यह छह विधानसभा चुनाव क्षेत्रो को मिलाकर लोकसभा क्षेत्र निर्मित हुआ। जिले स्थित पैठण,, फुलंब्री और सोयगाँव यह तीन विधानसभा चुनाव क्षेत्र जालना लोकसभा चुनाव क्षेत्र में शामिल हैं.
विधानसभा चुनाव क्षेत्र : जिले में कुल 11 विधानसभा चुनाव क्षेत्र हैं - औरंगाबाद (मध्य), औरंगाबाद (पूर्व), औरंगाबाद (पश्चिम), कन्नड़, खुलताबाद, गंगापुर, वैजापुर,, सिल्लोड, पैठण, फुलंब्री और सोयगाँव।
जिला परिषद : जिले में जिला परिषद के कुल 60 चुनाव क्षेत्र निर्मित हैं. उसी तरह पंचायत समिति के 120 चुनाव क्षेत्र विद्यमान हैं.
महानगर पालिका चुनाव क्षेत्र : औरंगाबाद जिले अंतर्गत औरंगाबाद तहसील के औरंगाबाद शहर में औरंगाबाद महानगर पालिका विद्यमान हैं. जिसके अंतर्गत महानगर पालिका के 113 और शहर में नए से शामिल सातारा और देवलाई यह दो क्षेत्र मिलकर कुल 115 चुनाव क्षेत्र (पार्षद) होते हैं.
उद्योग : जिले में औरंगाबाद तहसील में वालुज, चिखलथाना, शेन्द्रा स्थानों पर और पैठण तहसील में औद्योगिक क्षेत्र अस्तित्व में हैं. शेन्द्रा औधोगिक क्षेत्र को पंचतारांकित औद्योगिक क्षेत्र के रूप में संचालित किया जाता हैं. इस औद्योगिक क्षेत्र में ऑटोमोबाइल, औषद्धि निर्माण, रासायनिक, मद्य (शराब) निर्माण की बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हैं । चिखलथाना में आई.टी. पार्क इकाई हैं. साथ ही जिले में कॉल सेंटर और लघु आई. टी. कंपनियां कार्यरत्त हैं । अनुवाद : मराठी से हिंदी में रविन्दरसिंह मोदी
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