सीएम योगी आदित्यनाथ के 'ड्रीम प्रोजेक्ट' का शुभारम्भ करेंगे प्रधानमंत्री 16 को
डॉ महेंद्र कुमार सिंह
'जहां से सड़क पर गड्ढे शुरू होते हैं, वहां से उत्तर प्रदेश की शुरुआत होती है।' दशकों से आमजन की यह धारणा आम हुआ करती थी, जो 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्य संभालने के बाद बदलने लगी और अब पूरी तरह बदल चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में 'नए भारत के नए उत्तर प्रदेश' की संकल्पना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अब धरातल पर दिखने लगी है और विकास के नए आयाम गढ़ता उत्तर प्रदेश प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार 'हर घर-हर गांव और हर जनपद' को विकास से जोड़ने के लिए सतत क्रियाशील हैं और उसी का परिणाम है कि दशकों तक पिछड़ेपन का दंश झेल रहे पूर्वांचल को उसकी नई पहचान प्राप्त होने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 नवंबर को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के देश की बागडोर संभालने के बाद से ही पूर्वांचल का विकास उनकी प्राथमिकता में दिखा। पहले गोरखपुर में एम्स की स्थापना, फ़र्टिलाइज़र कारखाने को नया जीवन देना तथा घर घर पाइपलाइन गैस को पहुँचना, पूर्वांचल के विकास प्रति उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में इस पिछड़े कहे जाने वाले क्षेत्र में विकास ने और तेजी से रफ्तार पकड़ी है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे आमजन के सपनों का 'एक्सप्रेस-वे' है, जो पूर्वांचल को विकास की मुख्यधारा से जोड़ेगा।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे केवल एक सड़क नहीं हैं, यह प्रदेश के विकास और अर्थव्यवस्था को एक नई पहचान दिलाने तथा औद्योगिक निवेश को आमंत्रित करने का सुपथ है, जो नौजवानों को रोजगार और उन्हें स्वावलंबन की ओर अग्रसर करेगा। योगी सरकार प्रदेश को पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक विश्वस्तरीय सड़कों के माध्यम से जोड़ रही है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे और गंगा एक्सप्रेस-वे इसका उदाहरण है।
340.82 किमी. लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास को नई रफ्तार देगा। वर्तमान में एक्सप्रेस-वे छह लेन चौड़ा है, जिसे आठ लेन तक विस्तार दिया जाना है। यह एक्सप्रेस-वे जनपद लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, अयोध्या, सुल्तानपुर, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ तथा गाजीपुर से होकर गुजरेगा, जो आजमगढ़ और मऊ जैसे जिलों को सीधा प्रदेश की राजधानी लखनऊ से जोड़ेगा। यह एक्सप्रेस-वे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे व यमुना एक्सप्रेस-वे के साथ भी जुड़ा है, जिसके माध्यम से राजधानी दिल्ली तक यातायात काफी सुगम हो जाएगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को अलग लिंक रोड के जरिए वाराणसी-आजमगढ़ हाईवे से जोड़ा जा रहा है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का भी निर्माण किया जा रहा है, जो गोरखपुर जिले को आजमगढ़ जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा। 17 किमी लंबी, 4-लेन चौड़ी बक्सर-गाजीपुर एलिवेटेड रोड (बक्सर में भरौली से गाजीपुर में हैदरिया तक) के पूरा होने पर, उत्तर प्रदेश में लखनऊ पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और नेशनल हाईवे के द्वारा बिहार के आरा और पटना से सीधे जुड़ जाएगा। एक्सप्रेस-वे से इन क्षेत्रों की कनेक्टिविटी तो बढ़ेगी ही, साथ ही पूर्वांचल का चहुमुखी विकास भी संभव हो सकेगा, जो दशकों से अधर में लटका था।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश को फायदा मिलेगा। पूर्वांचल के शहरों से ट्रांसपोर्ट में काफी हद तक सुविधा मिल सकेगी। समय की बचत के साथ, ईंधन और प्रदूषण नियंत्रण में भी यह काफी मददगार साबित होगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से पूर्वी उत्तर प्रदेश कृषि, वाणिज्य, पर्यटन और अन्य औद्योगिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा और नए रोजगार के सृजन के साथ साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गतिशील होने में सहायक सिद्ध होगा, जो संपूर्ण क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। सुल्तानपुर में एक्सप्रेस-वे पर एयर स्ट्रिप तैयार की गई है।
हर छोटी-बड़ी आवश्यकता के लिए बड़े शहरों की तरफ रुख करने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के आमजन के लिए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे किसी वरदान से कम साबित नहीं होगा। एक्सप्रेस-वे के नजदीकी क्षेत्रों में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, शैक्षिक संस्थान, स्वास्थ्य संस्थान, नए शहर और विभिन्न वाणिज्यिक केंद्रों की स्थापना से रोजगार के नए अवसर के साथ दूसरे शहरों पर निर्भरता कम होगी। एक्सप्रेस-वे के दोनों किनारों पर इंडस्ट्रियल हब विकसित करने की योजना है, जो उद्योगों को प्रोत्साहन देने के साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा देंगे।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को यूं ही 'सपनों का एक्सप्रेस-वे' नहीं कहा जा रहा है। कई मायनों में यह बेहद खास है। पूर्ववर्ती सरकारों ने कभी भी पूर्वांचल के विकास पर विचार नहीं किया। यही वजह है कि जिस गति से क्षेत्र का विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ। बड़े उद्योग तो दूर कुटीर उद्योग भी हासिए पर थे। यहां की पहचान रहे काली मिट्टी के बर्तन एवं कलाकृतियां, जूट के पारंपारिक उत्पाद सिर्फ कुछ गांवों तक सीमित हो गए थे। अब इस पहचान को सीएम योगी आदित्यनाथ के 'ड्रीम प्रोजेक्ट' पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के जरिए पूरे देश में ख्याति मिल सकेगी। 'एक जिला-एक उत्पाद' योजना के अंतर्गत तैयार स्थानीय उत्पादों को आसानी से प्रदेश एवं देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचाया जा सकेगा।
यह एक्सप्रेस-वे सिर्फ आवागमन और उद्योग की दृष्टि से ही नहीं, अपितु सुरक्षा के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है। रात के वक्त सफर में अक्सर यात्रियों के साथ लूटपाट और हादसे हुआ करते थे। अब ऐसा नहीं होगा। सुरक्षा के व्यापक इंतजाम हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर जगह-जगह पुलिस चौकियों का निर्माण किया गया है। एक्सप्रेस-वे के अंतगर्ज मेन कैरिज-वे पर कई फ्लाईओवर, रेलवे ओवरब्रिज, टोल प्लाजा, रैंप प्लाजा और अंडरपास निर्मित किए गए हैं।
इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा का ध्यान में रखते हुए एक्सप्रेस-वे पर सुल्तानपुर में 3.2 किमी लंबी हवाई पट्टी का निर्माण भी किया गया है। एयर स्ट्रिप का प्रयोग वायुसेना किसी भी आपात स्थिति में लड़ाकू विमान को उतारने या फिर उड़ाने के लिए कर सकेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की बागडोर संभालने के साथ ही 'सबका साथ-सबका विकास' के मंत्र को पूर्ण करने का संकल्प लिया था, जिसे वह साकार करते नजर आ रहे हैं और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे उसकी एक महत्वपूर्ण कड़ी है। 16 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे आमजन को समर्पित करेंगे। यह ऐतिहासिक दिन न सिर्फ पूर्वांचल बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक स्वर्णिम अध्याय की शुरुआत करेगा। विकास की रफ्तार को नई गति प्रदान करने वाला पू्र्वांचल एक्सप्रेस-वे आम जनता के सपनों को भी पूर्ण करने में सहायक सिद्ध होगा। देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में कभी एक या दो एक्सप्रेस-वे हुआ करते थे, आज प्रदेश में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के अलावा बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे, गंगा एक्सप्रेस-वे और बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे पर तेजी से काम जारी है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश को अब 'एक्सप्रेस-वे प्रदेश' भी कहा जाने लगा है।
जनता की उम्मीद और विश्वास को अपनी ताकत बनाकर भाजपा सरकार प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए सतत प्रयासरत है और यह क्रम आने वाले दिनों में भी नजर आएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन एवं योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश संवर रहा है। विकास क्या होता है, जनता ने अब महसूस किया है। इसलिए तो अब प्रदेश का हर नागरिक पूरे विश्वास और गर्व से कहता है, 'हां, मैं नए उत्तर प्रदेश के निर्माण का साक्षी हूं।'
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार एवं सहायक
आचार्य, राजनीति विज्ञान विभाग, डीडीयू
गोरखपुर विश्वविद्यालय हैं)
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