प्रणाम पर्यटन ब्यूरो

रत्नागिरि महाराष्ट्र राज्य का एक जिला ।यहीं पर बाल गंगाधर तिलक की जन्म स्थ ली भी है,जो दक्षिण-पश्चिम भाग में अरब सागर के तट पर स्थित है। यह कोंकण क्षेत्र का ही एक भाग है। यहां बहुत लंबा समुद्र तट हैं। यहां कई बंदरगाह भी हैं। यह क्षेत्र पश्चिम में सहयाद्रि पर्वतमाला से घिरा हुआ है। रत्नागिरि अल्फां सो आम के लिए भी प्रसिद्ध है।

इस जिले का मराठा इतिहास में महत्व पूर्ण स्थान  है। यह 1731 ई. में सतारा के राजा के अधिकार में आ गया और यह 1818 ई. तक सतारा के कब्जे में रहा। 1818 ई. में इस पर अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया। यहां पर एक किला भी है जिसे बीजापुर के राजपरिवार ने बनवाया था। बाद में 1670 ई. में इस किले की शिवाजी ने मरम्मत करवाई थी।

इतिहास के पन्नों में इस जिले का संबंध महाभारत काल से भी बताया जाता है । जिसके मुताबिक अपने वनवास का तेरहवां वर्ष पांडवों ने इसी जिले से सटे हुए क्षेत्र में बिताया था। रत्नागिरि में ही म्यांमार के अंतिम राजा थिबू तथा विनायक दामोदर सावरकर को कैद कर रखा गया था।

1731 ईस्वी में रत्नागिरी सतारा के राजा के अधिकार में रहा। 1818 में यह अंग्रेजों के अधीन हो गया। रत्नागिरी में एक किला भी है जिसका निर्माण बीजापुर के राजपरिवार ने करवाया था

यह जिला एक बेहद खूबसूरत पर्यटक स्थल है । अल्फांसो आम के लिए प्रसिद्ध यह शहर, दुनिया भर में अपनी संस्कृति और समाज के लिए बेहद प्रसिद्ध और नामचीन है । रत्नागिरी का इतिहास और उसकी प्राचीनता उसके अनेक पर्यटक स्थलों में सहज ही दिखाई देती है । यहां के किलों और महलों को देखकर पर्यटक असीम आनंद की अनुभूति महसूस करते हैं। तो आइए ले चलते हैं आपको उस खूबसूरत जगह में जहां पर बस्ती है इतिहास की झांकियां और साथ ही खूबसूरत समुद्री बीचों की सुहावनी शामें।

1. रत्नागिरी का एतिहासिक जयगढ़ किला - जयगढ़ का यह किला सोलवीं सदी में निर्मित किया गया था। 13 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला यह किला, तटीय क्षेत्र पर स्थित है। जयगढ़ का किला जयगढ़ गांव के पास मौजूद है इसके पास निर्मित है एक लाइट हाउस। इस किले और लाइट हाउस की संरचना अद्भुत है। प्राचीन महाराष्ट्र की वस्तु कला यहां देखने को मिल जाती है यह अकेला पहाड़ी पर बना है जहां से रत्नागिरी का खूबसूरत नजारा पर्यटक देख पाते हैं इस किले के पास से ही बहती है सोमेश्वर नदी अतः यह अस्थाई अपने आप में रोचक और आनंदमय हैं 

2. 400 साल पुराना, स्वयंभू गणपति मंदिर -:जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यहां गणपति जी का एक सुंदर पवित्र मंदिर है। यह मंदिर 400 साल पुराना माना जाता है । यह रत्नागिरी जिले में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में गणपति जी स्वयं प्रकट हुए थे इसीलिए इस मंदिर का नाम है स्वयंभू गणपति मंदिर। इस मंदिर की निर्मिती अद्भुत है। इसमें निहित मूर्तियां सफेद रेत से निर्मित हैं। यह रत्नागिरी जिले से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गणपति पुले समुद्र तट इसके साथ ही है।

3. रत्नागिरी का प्रसिद्ध जयगढ़ लाइट हाउस - रत्नागिरी का यह प्रसिद्ध जयगढ़ लाइटहाउस 1931 में निर्मित किया गया था। यह लाइट हाउस शत - प्रतिशत कच्चे लोहे से बनवाया गया है। इसका निर्माण ब्रिटिश शासन काल के दौरान हुआ था। इसलिए इसकी संरचना यूरोपीय वस्तु कला से मेल खाती है। यह जयगढ़ किले के पास स्थित है। इस लाइट हाउस का महत्व इस बात में निहित है कि अरब सागर में तैरने वाले जहाजों को यह लाइट हाउस रास्ता दिखाता है। यूं तो जयगढ़ के किले से भी रत्नागिरी का एक शानदार नजारा देखने को मिल जाता है। लेकिन जयगढ़ लाइटहाउस से जो नजारा अरब सागर और समस्त रत्नागिरी शहर का मिलता है वह अद्भुत, रोमांचक और अविस्मरणीय है जिसको देख पर्यटक मोहित हो जाते हैं ।

4. रत्नागिरी का आदर्श स्थान, थिबॉ पॉइंट - यह एक प्राचीन जगह है। इतिहास की नजर से यदि देखा जाए तो पहले यह एक रजवाड़ा हुआ करता था । यहां से रत्नागिरी का नजारा बेहद सुंदर नजर लगता है। पर्यटक यहां सूर्योदय और सूर्यास्त का एक अद्भुत नजारा देख सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि म्यंमार के राजा थिबू को यहां पर लाकर कैद किया गया था। यह एक तरह का ऑब्जर्वेटरी पॉइंट है जहां से अद्भुत नजारा दिखाई देता है। थीबा पॉइंट मूलतः एक किला है जिसके आसपास हरा भरा मैदान है। पर्यटक यहां पर आकर इसकी संरचना और इसके ऐतिहासिकता का सहज ही मजा ले सकते हैं।


5. रत्नागिरी का साहित्य का स्थान, मालगुंड - रत्नागिरी में आकर पर्यटकों को एक साहित्यिक जगह है। पर्यटक यहाँ आकर एक साहित्यिक ज़ायका पा सकते हैं । यह साहित्यिक इस अर्थ में है कि यह स्थल मराठी कवि केशवसुत की जन्मस्थली रह चुकी है। इस जन्मस्थली को अब स्टूडेंट हॉस्टल बना दिया गया है जहां पर आकर पर्यटक घूम भी सकते हैं। इसके अलावा कवि की इस जन्मस्थली में एक मेमोरियल भी बनाया गया और इसका निर्माण मराठा साहित्य परिषद द्वारा करवाया गया था। इस प्रकार हम देख सकते हैं कि रत्नागिरी इतिहास, साहित्य और कला का एक अद्भुत सम्मिश्रण लिए हुए है।

6. ऐतिहासिक रत्नादुर्ग का किला - रतनदुर्ग का किला अक्सर इतिहास और कला प्रेमियों को अपनी ओर खींचता है। 600 साल पुराना यह किला सोलवीं सदी के आसपास निर्मित किया गया था । यह रत्नागिरी जिले से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 1300 मीटर ऊंचा यह किला एक अद्भुत संरचना से निर्मित है। इस किले का नाम भगवती दुर्गा किला भी है। पहले यह मुगलों के अधीन था बाद में इस किले को छत्रपति शिवाजी ने अपने शासनकाल के दौरान अपने अधीन कर लिया था। इस किले के परिसर में एक लाइट हाउस भी निहित है। अतः यह किला हीअपने आप में एक रोचक पर्यटक स्थल साबित होता है ।

7. रत्नागिरी का छोटा सा गांव, वेलनेश्वर - रत्नागिरी का एक बेहद सुंदर और प्यारा सा गांव है रत्नागिरी वेलनेश्वर। नारियल के वृक्षों से ओत प्रोत यह विशाल सुंदर ग्राम प्रकृति की दृष्टि से बहुत लुभावनी है। यह ग्राम रत्नागिरी जिले से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर शिवजी का एक पुराना मंदिर मौजूद है। यह मंदिर शैव दर्शन और धर्म के दृष्टिकोण से निर्मित करवाया गया था। दूर - दूर से पर्यटक इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं और यहां की आध्यात्मिकता का नजारा लेते हैं। अतः आध्यात्मिक का प्राकृतिक सुंदरता की नजर से नजर का एक अद्भुत जगह है।

8. रत्नागिरी का आकर्षक भटये बीच -  भटये एक रेतीला बीच है, जो साफ सुथरी जगह है। यह बीच अक्सर प्रकृति प्रेमियों के लिए एक परफेक्ट पर्यटक स्पॉट साबित होता है। यह कोंकण तटीय क्षेत्र पर स्थित है। यह बीच रत्नागिरी बस स्टैंड से महज 3 किलोमीटर दूर है। 1.5 किलोमीटर लंबा यह बीच अपने अंदर प्रकृति की कई विविधता को समाए हुए हैं। चारों ओर फैली सफेद रेत पर्यटकों को अपनी ओर खींचने में सक्षम है। इस बीच में शाम के वक्त सूर्यास्त का अद्भुत नजारा हृदय को मोहित कर देने वाला है। यहां का शांत वातावरण अविस्मरणीय है। यह बीच मांडवी बीच के  पास ही निर्मित है।


9. मनोरम, मांडवी बीच - समुद्र किनारे का व्यापक विस्तार मांडवी बीच में नजर आता है। इतिहास की नजर से देखें तो यहां पर एक रजवाड़ा भी हुआ करता था। इस बीच का विस्तार बंदरगाह तक है। दक्षिण में यह जाकर अरब सागर से होकर मिल जाता है। इस बीच को ब्लैक सी भी कहा जाता है। साथ ही इसे रत्नागिरी का गेटवे भी माना जाता है। इस बीच में अनेक सपोर्ट एक्टिविटी हुआ करती हैं। इन स्पोर्ट्स गतिविधियों में पानी के खेल शामिल है।

10. प्राचीन, धूतपापेश्वर मंदिर -  रत्नागिरी का यह प्राचीन मंदिर राजपुर तालुक में स्थित है। यह मंदिर प्रकृति का अप्रतिम खजाना है। मृदानी नदी का झरना इस मंदिर के पास से ही बहता है। विशाल घने जंगलों से घिरा हुआ यह मंदिर अपनी सुंदरता में बेहद अद्भुत है। यह मंदिर राजपुर बस स्टैंड से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पर्यटक इस मंदिर की प्राचीनता के साथ - साथ यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का भी आनंद उठाते हैं।

11. ऐतिहासिक तिलक अली संग्रहालय  - तिलक अली संग्रहालय, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह संग्रहालय लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की याद में बनवाया गया था। दरअसल रत्नागिरी देश भर में तिलक की जन्म स्थली के लिए नामचीन है। यह संग्रहालय तिलक के पैतृक घर पर ही निर्मित किया गया था। इसकी संरचना में स्थानीय कोंकणी वस्तु कला का उदाहरण मिल सकता है। चित्र और कहानियों के माध्यम से यहां स्वतंत्रता - स्वाधीनता संग्राम के दौरान लोकमान्य तिलक की वीरता पूर्ण भूमिका को विस्तार से दर्शाया गया है।

12. आरे वारे बीच रत्नागिरी - रत्नागिरी का यह सुंदर बीच गणपुतले के करीब स्थित है। यह एक बेहद निर्जन और शांत स्थल है। इसकी सुंदरता और शांत वातावरण के चलते यहां प्रेमी अक्सर अपनी शाम बिताया करते हैं। यहां पर कम पर्यटक आते हैं। इसलिए इस जगह पर कई समुद्री पंछियों को  शांति से विश्राम करने का अवसर आश्रम मिल जाता है।

13. गणेशघुले बीच रत्नागिरी - रत्नागिरी का यह बीच भी प्रकृति प्रेमियों के लिए एक बेहद अद्भुत और रोमांचक जगह है। यह रत्नागिरी से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहां से सूर्यास्त का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। यह साफ और शांत वातावरण वाली जगह है यहां पर प्रेमी अक्सर आकर एक हसीन शाम बिताना पसंद करते हैं। सफेद रेत से बिछा हुआ यह बीच रत्नागिरी का बेहद आकर्षक स्थल है।


14. गेटवे ऑफ रत्नागिरी -  इसकी संरचना अपने आप में अप्रतिम है। यह गेटवे मांडवी बीच पर स्थित है। धूंडो भास्कर द्वारा रत्नागिरी की समुद्री सीमा पर इसका निर्माण हुआ था। इसकी निर्मिती का उद्देश रत्नागिरी की समुद्री सीमा की रक्षा करना था। यहां पर पर्यटक तथा आसपास के स्थानीय लोग अक्सर आते हैं और शामें बिताते हैं। यह शांत और हसीन किनारा टहलने योग्य है।

15. कोंकण वैक्स म्यूजियम -  यह संग्रहालय कोंकण समाज की रिप्लिका को वैक्स की मूर्तियों के माध्यम से दर्शाता है। रत्नागिरी में स्थित यह वैक्स म्यूजियम कोंकण समाज की सभ्यता, संस्कृति और समाज का परिचायक है। इस वैक्स म्यूजियम में रत्नागिरी में स्थित सभी पर्यटक स्थलों का भी रिप्लिका देखने को मिल सकता है।

 रत्नागिरी में पर्यटकों के लिए शॉपिंग मार्केट -

रत्नागिरी के बाजार यहां संस्कृति को बेहद करीबी से दर्शाते हैं । यहां के बाजारों में धोती, पगड़ी, सिल्क की साड़ी जैसे पारंपरिक महाराष्ट्रीय वेशभूषा मिलते हैं। पर्यटक इन पारंपरिक वेशभूषा को खरीद रत्नागिरी के रंग में रंग जाते हैं। इसके अलावा ड्राई फ्रूट जैसे काजू, बादाम इसके अलावा ड्राई फिश भी यहां के मार्किट के प्रमुख आकर्षण हैं। चटनी बाजार और नयायुग बाजार रत्नागिरी के कुछ प्रमुख प्रसिद्ध बाजार है।

रत्नागिरी का लोकल स्ट्रीट फूड

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि रत्नागिरी हापुस आम का शहर है। यहां के आसपास ही नही, देश और दुनिया भर के लोग रत्नागिरी के आमों की प्रशंसा करते नहीं थकते। अतः अल्फांसो आम से बना मैंगो शेक, आम रस, आम पन्ना कच्चे आम का शरबत, कोंकण शरबत, ड्राई फिश, भेलपुरी, वडापाव, कोंकणी बड़े यहां पर पर्यटक आकर बड़े चाव से खाते हैं। इसके अलावा हर साल रत्नागिरी में मई के महीने में अलफांजो मैंगो फेस्टिवल भी लगता है।

सबसे अच्छा समय रत्नागिरी घूमने का

यूं  तो रत्नागिरी की जलवायु इतनी उत्तम और सुहावनी है कि पर्यटक किसी भी समय जाएंगे तो उन्हें असीम आनंद की अनुभूति होगी ही। लेकिन यदि वे अल्फांसो मैंगो फेस्टिवल को ध्यान में रखते हुए यदि रत्नागिरी जाएं तो वह रत्नागिरी के आमों का जायका भी ले पाएंगे।

रत्नागिरी कैसे पहुंचे

सड़क के द्वारा : रत्नागिरी में पहुंचने के लिए सड़क मार्ग एक बहुत ही सामान्य और सुविधा पूर्ण मार्ग है। यह मार्ग मुंबई गोवा राष्ट्रीय महामार्ग में हतखंबा गांव से रत्नागिरी से केवल 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

ट्रेन के द्वारा :रत्नागिरी से कोंकण रेलवे स्टेशन सर्वाधिक निकटतम रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन मुंबई, गोवा, केरला के रास्ते से होकर जाता है। पर्यटक कोंकण रेलवे स्टेशन से उतरकर रत्नागिरी जाने के लिए टैक्सी ले सकते हैं।

हवाई मार्ग: रत्नागिरी से सबसे निकटतम हवाई अड्डा है लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक रत्नागिरी एयरपोर्ट। यह रत्नागिरी से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अपनी सुविधा अनुसार पर्यटक यहां से टैक्सी ले सकते हैं।