प्रणाम पर्यटन ब्यूरो
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट खुल चुके हैं. आज (गुरुवार) सुबह 7:10 बजे तय मुहूर्त के अनुसार कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. भक्त अगले 6 माह तक श्री बद्री विशाल के दर्शन कर सकेंगे. जिस समय कपाट खोले गए, तब करीब 10 हजार श्रद्धालु यहां मौजूद रहे. सेना के बैंड की धुन और भगवान बद्री विशाल के जयकारों के बीच कपाट खोले गए. अपनी बारी आने पर सभी ने भगवान बद्री विशाल के दर्शन किए और सुख-शांति की कामना की. गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट पहले ही खुल चुके हैं. बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारों धाम अब भक्तों के लिए खुल चुके हैं.

बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तैयारियां 24 तारीख से शुरू हो गई थीं. गरुड़ जी के बद्रीनाथ प्रस्थान के साथ ही जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में गरुड़ छाड़ मेला हुआ और उसी दिन डिमरी पंचायत श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर डिम्मर से गाडु घड़ा तेल कलश लेकर नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंची. 25 अप्रैल को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ तेल कलश यात्रा पांडुकेश्वर रात्रि विश्राम के लिए पहुंची और 26 तारीख को शंकराचार्य जी की गद्दी, श्री रावल व गाडु तेल कलश और उद्धव, कुबेर सहित श्री बद्रीनाथ धाम पहुंचे. जिसके बाद आजसुबह 7 बजकर 10 मिनट पर भगवान बद्री विशाल के दर्शनों के लिए धाम के कपाट सभी भक्तों के लिए खोल दिए गए.

श्री बद्रीनाथ जी के हक-हकूकधारी कुशला डिमरी बताते हैं कि कपाट खुलने से पहले बामणी गांव से उद्धव जी और कुबेर जी की मूर्ति माणा से बद्रीनाथ मंदिर में आती है. लक्ष्मी द्वार से मूर्तियां अंदर प्रवेश करती हैं और उसके बाद लक्ष्मी जी के विग्रह को बाहर लाया जाता है. उद्धव जी को माता लक्ष्मी का जेठ (पति का भाई) कहा जाता है, इसलिए वह बाद में मंदिर में प्रवेश करते हैं और कुबेर जी उद्धव जी की मूर्ति अंदर जाती है.

साथ ही धाम के नौटियाल जाति के राजगुरु दरवाजे पर देवी पूजा करते हैं और पांडुकेश्वर के भंडारी परिवार के लोग दो चाबियों (एक चाबी प्रशासन के पास होती है और दूसरी चाबी भंडारी परिवार के लोगों के पास) से बद्रीविशाल के कपाट खोलते हैं और फिर इसके बाद रावल जी के नेतृत्व में सभी अखंड जोत के दर्शन करते हैं.

टिहरी दरबार से आए भवानी प्रताप सिंह बताते हैं कि टिहरी दरबार के राजपरिवार के लोग बद्रीनाथ जी के तेल कलश, गाडु कलश को ले जाने की जिम्मेदारी हजारों वर्षों से निभा रहे हैं. साथ ही वह बताते हैं कि टिहरी राजवंश के पहले राजा सुदर्शन शाह को बोलन्दा बद्रीश के नाम से भी जाना जाता है. वह बताते हैं कि जो भक्त भगवान बद्री विशाल के दर्शन करने नहीं पहुंच पाते हैं, तो राजा के दर्शन मात्र से उन्हें धाम के दर्शन के समान पुण्य प्राप्त हो जाता था.

 क्या बोले श्रद्धालु?

बद्रीनाथ धाम पहुंचे श्रद्धालु संदीप भंडारी ने बताया कि मैं बेंगलुरु से पहली बार बद्रीनाथ धाम के दर्शन के लिए पहुंचा हूं और मुझे अच्छे से बद्रीनाथ जी के दर्शन हो गए हैं. हिमालय के बीच बसा यह धाम न सिर्फ बर्फ से ढका है बल्कि यह देखने में भी बेहद सुंदर है. यहां आकर उन्हें अद्भुत शांति मिल रही है.

राजस्थान से आई अनुष्का पारेक बताती हैं कि भगवान बद्री विशाल के दर्शन करने के बाद मैं अपने आपको धन्य महसूस कर रही हूं. हमने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया था, जिसके बाद हम कल रात को श्री धाम पहुंचे थे और आज सुबह हमने अच्छे से दर्शन भी कर लिए हैं.

पर्यटक देवेंद्र देवली बताते हैं कि आज 6 महीने बाद भगवान बद्री विशाल के कपाट सभी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं और मैं अपने आपको बेहद धन्य महसूस कर रहा हूं कि मैं इस मनोरम दृश्य का साक्षी बना हूं.