सुप्रीम कोर्ट ने कहा चीतों को राजस्थान भेजने पर विचार करे सरकार

                                                      प्रणाम पर्यटन डेस्क 

 लखनऊ पिछले छः माह में कूनो नेशनल पार्क में छार  चीतों की मौत से इस 'प्रोजेक्ट चीता' पर  कई तरह के सवाल उठाने लगे हैं ,जिसको संज्ञान में लेते हुए  सर्वोच्च न्यायलय को हस्तक्षेप करना पड़ा है. अपनी   चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह राजनीति से ऊपर उठकर चीतों को राजस्थान में स्थानांतरित करने पर विचार करें . पता हो कि मृतक चीतों के नाम हैं दक्षा ,ज्वाला साशा एवं उदय .

कोर्ट के ऐसा कहने के कुछ ही दिनों बाद कूनो पार्क में एक चीता का शावक की भी मौत हो गई। नामीबिया से लाई गई चीता ‘ज्वाला’ ने मार्च में चार शावकों को जन्म दिया था जिनमें से एक की मंगलवार को मौत हो गई.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि विशेषज्ञों की रिपोर्ट और लेखों से ऐसा लगता है कि कूनो में इतनी बड़ी संख्या में चीतों के लिए पर्याप्त जगह नहीं है, और सरकार उन्हें अन्य अभयारण्यों में शिफ्ट करने पर विचार कर सकती है.

कूनो पार्क में इससे पहले तीन चीतों की मौत हो चुकी है. कुछ दिनों पहले एक नर चीते के हिंसक हमले में मादा चीता ‘दक्षा’ मारी गई थी . उससे पहले मार्च में ‘साशा’ की मौत किडनी इंफेक्शन की वजह से हुई थी, और अप्रैल में नर चीते ‘उदय’ ने इलाज के दौरान कार्डियक अरेस्ट से दम तोड़ दिया था.

दिलचस्प बात यह रही कि कोर्ट के चीता विशेषज्ञों के लेखों और रिपोर्ट्स के उल्लेख पर सरकारी वकील ने कहा कि भारत में कोई चीता विशेषज्ञ नहीं हैं क्योंकि 1947-48 में चीते देश से विलुप्त हो गए थे . इसके बाद बेंच ने शीर्ष अदालत द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति से कहा कि वह 15 दिनों के भीतर नेशनल चीता टास्कफ़ोर्स को अपने सुझाव दे ताकि उन पर विचार किया जा सके.पता हो कि  दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते उदय ने बीमार पड़ने के बाद इलाज के दौरान दम तोड़ दिया.  पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार उदय की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई, जिसका संभावित कारन को टॉक्सिन था.

कूनो में एक महीने के भीतर दो चीतों की मौत हो चुकी है.इसके पहले साशा नामक मादा चीता के किडनी की बीमारी के चलते मौत हो गई थी.इन दो मौतों से देश में प्रोजेक्ट चीता पर सवाल उठने लगे हैं. करीब छह साल के उदय को इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था. दक्षिण अफ्रीका से उसे कूनो लेकर आने वाले चीता मेटा पॉपुलेशन प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों के मुताबिक उदय का स्वास्थ्य अच्छा था.

वहीं, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स का कहना है कि लगातार लंबे समय तक बाड़े में रखने से चीतों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है और वे बीमार हो रहे हैं .(कार्बनकॉपी से साभार)