बाल साहित्य में लिंगभेद कतई न हो : प्रो० जोशी 

                                          उदय किरोला /कौसानी /बागेश्वर 

कौसानी (बागेश्वर ) उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ तथा अल्मोड़ा से प्रकाशित बच्चों की पत्रिका बालप्रहरी/बालसाहित्य संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में अनासक्ति आश्रम कौसानी में 'बालसाहित्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण ' विषय पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता  हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर  के पूर्व भौतिकी  विभागाध्यक्ष  ने कहा कि यदि हमें बाल साहित्य में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समावेश करना है तो पहले हमें अपने समाज में व्याप्त कुछ कुरीतियों के वैज्ञानिक नजरिये से विश्लेषण का नजरिया अपने बच्चों में पैदा करना होगा। उन्होंने कॉपरनिकस, कैप्लर, गैलीलियो व न्यूटन को आधुनिक युग का ब्रह्माण्ड वैज्ञानिक बताते हुए कहा कि इन लोगों ने अपने अन्वेषण से तत्कालीन प्रचलित धारणाओं के खण्डन करने का साहस किया, जिसके परिणाम उन्हें  इस रूप में भुगतने पड़े कि तत्कालीन सत्ता चर्च द्वारा उन्हें मरणासन्न स्थितियों तक प्रताड़ित किया गया। प्रो० जोशी ने बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करने के लिए कविता को एक सशक्त माध्यम बताते हुए कहा कि गेय कविताएं बाल मन को  जादा प्रभावित करती हैं, जिससे बच्चे जल्दी सीखते हुए आत्मसात कर लेते हैं। उन्होंने बाल साहित्य लेखकों को अपना विषय चुनने में सावधानी बरतने के प्रति आगाह करते हुए कहा कि बाल साहित्य लेखक अपने लेखन में सृजनात्मकता को जादा से जादा तरहीज दें। बाल साहित्य में लिंगभेद कतई न हो। उन्होंने विज्ञान पठन का एक प्रमुख उद्देश्य बताते हुए कहा कि विज्ञान पठन व लेखन का उद्देश्य मानवता का विकास व मानवता की सेवा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि  एक विज्ञान लेखक को विज्ञान की नई नई खोजों को अपने लेखन का अंग बनाना, बच्चों के लिए अधिक लाभकारी होगा।

      जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बागेश्वर के प्रभारी प्राचार्य डॉ कुंदन सिंह रावत  ने कहा कि हम अपने दैनिक जीवन में  घर की रसोई में विज्ञान के कई प्रयोग करते हैं । उन्होंने कहा विज्ञान के प्रयोग केवल बड़ी - बड़ी कार्यशालाओं में नहीं अपितु अपने घर गांव में हम प्रतिदिन करते रहते हैं । उन्होंने कहा कि विज्ञान को कठिन मानकर  बच्चे विज्ञान विषय से दूरी बनाते हैं । जबकि विज्ञान बहुत ही सरल व रोचक विषय है ।

          उत्तर प्रदेश हिन्दी  संस्थान लखनऊ, उत्तर प्रदेश के निदेशक श्री आर पी सिंह (IAS) ने अपने वक्तव्य में कहा कि बौद्धिक विचार विमर्श से ही बच्चे या व्यक्ति का आन्तरिक परिवर्तन विकास होता है। श्री सिंह ने कहा कि सृजनात्मकता का अर्थ केवल विज्ञान के क्षेत्र में नये उपकरण इजाद करना या अन्वेषण ही नहीं है, बल्कि लेखन, गायन, पेंटिंग सहित अन्यान्य ललित कलायें भी सृजनात्मकता (Creativity) ही है।उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान रखना होगा कि हम बच्चों की परवरिश इस ढंग से करें कि वे समस्या से भागने वाले न हों बल्कि समस्या का समाधान करने वाले बनें। उनका इशारा इस ओर था कि विज्ञान लेखक के रूप में हमारा लेखन ऐसा हो जिससे बच्चे समस्या समाधानकर्ता के रूप में स्वयं का विकास कर सकें।*

             पूर्व प्रधानाचार्य पुष्पलता जोशी 'पुष्पांजलि ' ने कहा कि बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रसार के साथ ही जरूरी है कि शिक्षकों ,साहित्यकारों व अभिभावकों  के मन में वैज्ञानिक सोच विकसित की जाए। साहित्यकार नीलम नेगी ने कहा कि विज्ञान हमें क्या क्यों व कैसे जैसे सवाल करने के लिए तैयार करता है। बच्चों को बचपन से ही सवाल पूछने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है ।

         आज संगोष्ठी की शुरुआत 'बाल कवि सम्मेलन से हुई । बाल कवि सम्मेलन से पूर्व अतिथियों ने बाल कवियों को बैज लगाकर सम्मानित किया । बाल कवि सम्मेलन की अध्यक्षता राजकीय कन्या जूनियर हाईस्कूल कौसानी की कक्षा 8 की छात्रा मनीषा व संचालन काजल  ने किया।दिया भट्ट ,अंजली राणा,पिंकी कुमारी,अंकिता जलाल,काजल,मनीषा , लता आर्या ,पिंकी गोस्वामी , विशाल,भक्ति उप्रेती,भूमिका पुरोहित आदि ने स्वरचित कविताओं का पाठ किया। बच्चों ने औरेगैमी के तहत अखबार से बने मुकुट अतिथियों को पहनाकर सम्मानित किया गया ।

          कहानी वाचन सत्र में बाल प्रहरी संपादक उदय किरौला ने 'आदमी की कहानी' सुनाई। इस कहानी पर बच्चों ने अपनी समीक्षा प्रस्तुत की। इस सत्र के मुख्य अतिथि देहरादून से आए बालसाहित्यकार डॉ शशिभूषण बडौनी तथा अध्यक्ष रतनसिंह किरमोलिया ने कहानी के विभिन्न पक्षों पर अपनी बात रखी। इस सत्र का संचालन प्रमोद तिवारी ने किया। बाल कविता वाचन सत्र में मोतीप्रसाद साहू ,वाई पी सेमल्टी ,संदीपकुमार जोशी व कृपालसिंह शीला ने अपनी बाल कविता पढ़ी । कविताओं पर बच्चों ने अपनी टिप्पणी प्रस्तुत की। इस सत्र के मुख्य अतिथि हेमंत चौकियाल व अध्यक्षता कर रहे प्रकाश पांडे ने भी कविता के विभिन्न पक्षों पर बातचीत की । इस सत्र का संचालन गरिमा राणा ने किया।

          डॉ हेमचंद्र दुबे की अध्यक्षता में संपन्न आज के अंतिम सत्र कवि सम्मेलन में  डा गीता नौटियाल , खुशालसिंह खनी,भास्करानंद डिमरी, बलिराम नौटियाल , बीना फुलेरा, कमलेश  मिश्रा,  किरन उपाध्याय ,प्रमोद श्रोत्रिय ,घनश्याम अंडोला,गिरीश मठपाल ,कोमल जोशी, संतोष तिवारी , इंद्रा तिवारी ,शशांक मिश्र,शंकरदत तिवारी , दीपक भाकुनी.विमला जोशी,मंजू पांडे,अनन्या, आशा बुटौला , विमला जोशी, जागृति बुटौला,चंद्रशेखर कांडपाल ,गिरीश मठपाल ,दीपक भाकुनी,किरन उपाध्याय आदि ने विज्ञान आधारित बाल कविताएं पढ़ी। संचालन डॉ कुंदन सिंह रावत ने किया। बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा की ओर समूचे देश से प्रकाश 85 बाल पत्रिकाओं की प्रदर्शनी विशेष आकर्षण का केंद्र रही। इस प्रदर्शनी में आजादी से पूर्व से प्रकाशित हिंदी पत्रिकाओं के साथ ही बंगला,तमिल,तेलगू व पंजाबी आदि भाषाओं की बाल पत्रिकाएं लगाई गई हैं ।

           समारोह में बालप्रहरी पत्रिका ,ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के बालसाहित्य विशेषांक तथा पुष्पलता जोशी 'पुष्पांजलि' की पुस्तक 'नया सबेरा आया चुनमुन' पुस्तक का लोकार्पण अतिथि यों द्वारा किया गया । इस अवसर पर  दून साइंश फोरम देहरादून के विजय भट्ट ,भारत ज्ञान विज्ञान समिति देहरादून के एस एस रावत , मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा के पूर्व वित्त नियंत्रक  मोहनलाल टम्टा , अनासक्ति आश्रम के एडवोकेट कृष्ण सिंह बिष्ट ,हितैषी संस्था के डा किशन सिंह राणा , उ.प्र. हिंदी संस्थान के श्याम कृष्ण सक्सेना,  पत्रकार लक्ष्मी प्रसाद बडौनी, कृष्ण सिंह बिष्ट ,किशन सिंह बिष्ट ,रमेश पंत,  इंद्रेश नौटियाल , थ्रीश कपूर, सूर्य प्रकाश  नौटियाल , बलीराम नौटियाल , प्रकाश जोशी,  किरन उपाध्याय , यथार्थ राणा, त्रिलोक सिंह बुटौला, देवेंद्र ओली, कमलेश खंतवाल ,आदि उपस्थित थे । संगोष्ठी 30 जून को भी जारी रहेगी।