प्रणाम पर्यटन ब्यूरो जयपुर, राजस्थान में पर्यटन, पर्यटकों को रहस्य, रोमांच और सम्मोहन की दुनिया में ले जाता है। ऐसा नहीं है कि राजस्थान में पर्यटन का मजा केवल सर्दियों में ही है, ग्रीष्मकालीन पर्यटन में भी राजस्थान की अलग पहचान है।
पर्यटन विभाग के उपनिदेशक दलीप सिंह राठौड़ के अनुसार राजस्थान में अब पर्यटन, सीजन पर आधारित नहीं है। प्रदेश में बारह महीने पर्यटकों की आवक है। कोविड काल के बाद यह पर्यटकों में यह ट्रेंड देखने के मिल रहा है। राठौड़ का कहना है कि राज्य में पतझर का मौसम भी पर्यटकों को खासा आकर्षित करता है क्योंकि सितम्बर से लेकर अक्टूबर व दीपालवी से पहले तक का समय। इन दिनों शादियों का सीजन भी नहीं होता है ऐसे में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए होटल्स की ओर से बजट पैकेज दिए जाते हैं। पतझर का मौसम घरेलू पर्यटकों के लिए काफी सहूलियत भरा होता है खासकर दक्षिणी राज्यों से आने वाले पर्यटकों के लिए, क्योंकि इस समय राजस्थान का मौसम न तो ज्यादा सर्द रहता है न गर्म। अक्टूबर के बाद से मार्च तक राजस्थान में टूरिज्म पीक पर रहता है।
पर्यटन विभाग के उपनिदेशक राठौड़ का कहना है कि राजस्थान में पर्यटन के सभी आवश्यक तत्व जैसे कि राजस्थान में पर्यटन के सभी आवश्यक तत्व जैसे कि आयकोनिक स्मारक व हैरिटेज क्षेत्र, विशेष हैरिटेज गांव व शिल्पग्राम, अनुभावात्मक पर्यटन, मरूस्थलीय पर्यटन,सहासिक पर्यटन, वाइलल्डलाइफ व ईकोटूरिज्म, ट्राइबल टूरिज्म, कल्चरल टूरिज्म, क्राफ्ट व कूजिन पर्यटन, वीकएण्ड गेटवे टूरिज्म, धार्मिक टूरिज्म, वैडिंग टूरिज्म, वैलनैस टूरिज्म, (मेडीकल टूरिज्म), ग्रामीण टूरिज्म व फिल्म टूरिज्म आदि हैं जो कि राजस्थान को एमआईसीई टूरिज्म के लिए पहली पसंद बनाते हैं । पर्यटन विशेषज्ञों के अनुसार पतझर के मौसम में प्रदेश का माउन्ट आबू, उदयपुर, कुम्भलगढ़, जैसलमेर, सवाईमाधोपुर का रणखम्भौर नेशनल पार्क और बूंदी पर्यटकों की पहली पसंद हैं।
आबू राजस्थान के पर्वतीय पर्यटन स्थल (हिल स्टेशन) में शुमार है। यहां पर साल भर पर्यटकों की आवक रहती है। माउंट आबू की सुंदरता सैलानियों का दिल जीत लेती है। माउंट आबू को खड़ी चट्टानों, शांत झीलों, सुरम्य वातावरण और बेहतरीन मौसम के लिए जाना जाता है। आबू का गुरूशिखर अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी है। जहां जाने पर आपको अहसास होता है कि आप आसमां की सवारी कर रहे हैं और बादल आपके कदमों तले हैं । देलवाडा जैन मंदिर, नक्की लेक, सन सैट पाइंट आपको सम्मोहन के उस लोक में पहुंचाते हैं जहां आप के मुंह से बरबस ही निकल पड़ता है ... राजस्थान का यह सम्मोहक और मनमोहक नजारा नहीं देखा तो फिर आप ने क्या देखा.. इसके बाद अहमदाबाद से 265 और माउन्ट आबू से 180 किमी दूर उदयपुर बसा है। झीलों की नगरी के नाम से विख्यात उदयपुर में शहर के बीचों बीच कई झीले स्थित हैं। गुजरात राज्य के नजदीक होने के कारण यहां गुजरात और महाराष्ट्र से स्वदेशी सैलानी खासी संख्या में यहां पर्यटन के लिए आते हैं वहीं उदयपुर में विदेशी सैलानी भी यहां आते हैं , जयपुर के बाद उदयपुर में सबसे ज्यादा विदेशी सैलानी आते हैं। राठौड़ बताते हैं की, उदयपुर अपनी झीलों और महलों के लिए प्रसिद्ध है लेकिन यहां के बाजार भी आपको खरीददारी के लिए लुभाते है। माउन्ट आबू और उदयपुर के सम्मोहित और रोमांचकारी दुनिया के साथ ही कुम्भलगढ़ का रुख करने के साथ ही पर्यटकों के लिए अलौकिक संसार के दरवाजे खुलते हैं।
कुंभलगढ़ किला राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। कुंभलगढ़ किला राजस्थान राज्य के पहाड़ी किलों में से एक है जिसको साल 2013 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यह आकर्षक किला एक जंगल के बीच स्थित है जिसको एक वन्यजीव अभयारण्य में बदल दिया है। कुंभलगढ़ किले को उस स्थान के रूप में भी जाना जाता है जहां पर महाराणा प्रताप का जन्म हुआ। कुंभलगढ़ किले की दीवारें 36 किमी व्यास की हैं, जो इसे दुनिया की सबसे लंबी दीवारों में से एक बनाती है। इस किले के चारों ओर बनाई सुरक्षा दीवार को ‘द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया’ भी कहा जाता है। यह दीवार 36 किमी तक फैली हुई है और 15 मीटर तक चौड़ी है जो कि आठ घोड़ों के एक साथ चलने के लिए पर्याप्त है। दलीप सिंह राठौड़ ने बताया कि सवाईमाधोपुर का रणथम्भौर बाघ अभ्यारण्य भी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है। वहीं इस दौरान जैसलमेर के रेत के धोरों में कैमल सफारी का अलग ही अनुभव है। यहां पर आपको एक्सपीरियेंशल टूरिज्म के साथ ही हैरिटेज टूरिजम और आध्यात्मिक टूरिजम का अनुभव मिलता है। वहीं पर्यटकों के लिए बूंदी भी एक मखमली अहसास देता है। बूंदी अपने किले और महलों के साथ पॉट्री विलेज और घने जंगलों के लिए भी जाना जाता है
(राजस्थान में अब पर्यटन, सीजन पर आधारित नहीं है। प्रदेश में बारह महीने पर्यटकों की आवक है। कोविड काल के बाद यह पर्यटकों में यह ट्रेंड देखने के मिल रहा है।)