एकांत का इकतारा.. कवयित्री के मन के प्रत्येक तार को झंकृत करता संगीत है...!
समीक्षक :आशीष मोहन
कविता जहाँ शीतल मन का झरना है वहीं भावनाओं को पंख देने का उपक्रम भी। कठोर कोलाहल के मध्य कविता किसी मधुर संगीत सी है।
एकांत का इकतारा शिरीन भावसार का एक ऐसा ही काव्य संग्रह है जो अपने इकतारे में एक-एक कर सारे राज खोलता चला गया।
उनकी रचनाओं में "यादों की किताब" है, प्रेम का "साक्षात्कार" है, "नेह" है, "सावन" है, "बारिश की बूंदे" हैं, "प्रेम की रोशनी" है, "माँ की चाहना" है।
"माँ की चाहना"
कविता में वे एक माँ बनकर अपनी संतति के लिए लिखती हैं..
"देखकर
बढ़ता हुआ तुम्हें
प्रसन्नता से
नम हो जाती हैं आंखें मेरी...!"
कोमल हृदय की सुकोमल कवयित्री अपने प्रीतम से मनुहार करती हुई कहती है..
"एक धागा मन्नतों का
नाम मेरे भी बाँध आना...!"
उक्त भाषाई सहजता एक प्रेम पगे मन के अलावा अन्यत्र दुर्लभ है।
वे आगे जीवन में
"अवरुद्धता" लिखती हैं, "प्रतीक्षा", "अनिवार्यता", "पूर्णता", "रास्ते" और "मंजिलें" लिखती हैं। मंजिलों में "थकन" और "प्रयास" के कई रंग भरती हैं।
उनकी कविताओं में भाषाई सहजता है सहजता में नदी की सी उच्छृंखलता है।
आगे मन के किसी कोने में दबे विरह के एहसासातों को सुंदर भावों से संजोकर लिखती हैं कि...
"रौशनी की किरचने
बिखर रही हैं।
हाँ... वो प्रेम से पगी
यादों की संदूकची
जरा सी खुली रह गई है..!"
शिरीन भावसार की कविताएँ महज कविताएँ ही नहीं हैं जीवन को परिभाषित करने का एक बढ़िया उपक्रम भी हैं ।
उन्होंने एक मुलाकात को उम्दा तरीके से परिभाषित करते हुए लिखा है...
"सिंचित धान के खेतों में
हवा से इठलाती
ओस से भीगी कोंपलों के मध्य बारिश से
भीगी हुई पगडण्डियों पर
थाम कर हाथ तुम्हारा
जब साथ तुम्हारे
मैं चली थी
गीली नर्म मिट्टी पर
दो जोड़ी कदमों के निशान
गवाह बन गए थे
हमारी मुलाकात के...!"
उनकी कविताओं में दर्शन के भी दर्शन सहज किए जा सकते हैं।
वे लिखती हैं...
"कुछ ख्वाहिशें जल जाती हैं
और जलकर राख हो जाती हैं
सुनो मगर
मुहब्बत है मुझे उस राख से भी..."
सहज से दिखने वाले जीवन की विवशता को उनकी "आसान नहीं" कविता में बड़ी सहजता के साथ समझा जा सकता है...
"पेड़-पौधे खरपतवार या कैक्टस किसी का भी
फूल हो जाना आसान नहीं
नाजुक सुकोमल पंखुड़ियों पर दायित्व लिए सृजन का
जीवन यात्रा के अनगिनत पड़ाव
तय करना आसान नहीं...!"
कविता संग्रह - एकांत का इकतारा कवयित्री - शिरीन भावसार , प्रकाशक एवं प्रकाशन वर्ष - बोधि प्रकाशन 2022 ,मूल्य - 150/-
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