अपने नाम को पूर्णतः चरितार्थ करती हुई पत्रिका ' प्रणाम पर्यटन'
अपने नाम को पूर्णतः चरितार्थ करती हुई पत्रिका 'पहले पढ़े फिर घूमें' के सूत्र वाक्य से घर बैठे संपूर्ण भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थल, जिसकी आत्मा में आस्था, विश्वास, समर्पण की घंटिया अनवरत गुंजायमान रहती हैं, सैर कराती है ।
वैष्णो देवी यात्रा के बाद 'वैष्णो देवी माता ने बुलाया है' आलेख का प्रकाशन द्वारा देवी मां के चरणों में समर्पित भाव की एक पूर्णाहुति के लिए सादर धन्यवाद आदरणीय प्रदीप श्रीवास्तव जी, जिनके अथक प्रयास, अतुलनीय मेहनत का प्रतिफल है
संपादकीय 'गुम होते मिट्टी के दीए में 'दिए' दीये बनाने वाले के दर्द को बखूबी उकेरा गया है ।
अपनी 'स्वदेशी दीपावली' कविता की चंद पंक्तियां शामिल करती हूं
.....चाक चला जो दीप बनाता, घर उसका प्रदीप्त कर आएंँ ।
सस्ते चीनी का मोह नहीं, वस्तु स्वदेशी गले लगाएंँ ।।
अपना भाई - परिजन भूखा, सड़क किनारे देख रहा है ।
रौशन लड़ियों को निहारते, मन-ही- मन वह सुबक रहा है ।।.....
कवर स्टोरी में 'होयसल मंदिर बना विश्व धरोहरप्रदीप .श्रीवास्तव द्वारा जानकारी मिली कि भारत के कर्नाटक राज्य के प्रसिद्ध "होयसल" मंदिर परिसर (बेल्लनूर, हलेबिड, और सोमनाथपुरा) को विश्व धरोहर, वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में 42 वें स्थान पर शामिल किया गया, इससे ठीक एक दिन पहले रविवार (17 सितंबर) को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित गुरु रविंद्र नाथ टैगोर की पावन शांति निकेतन को 41वें स्थान पर विश्व धरोहर के रूप में मान्यता दी थी ।पिछले यूनेस्को बैठक में तेलंगाना के 'रामप्पा मंदिर' एवं गुजरात के 'धोलावीरा' को क्रमशः 39वें और 40वें स्थान पर विश्व धरोहर के रूप में मान्यता दी थी ।प्रमुख होलसेल मंदिर के विस्तृत जानकारी से समृद्ध है यह आलेख!
अन्य आलेख भी संपूर्णता से जानकारी देते हैं जैसे, शुक्रताल भागवत कथा का उद्गम,
फौजियों का गांव गहमर जो दिल्ली हावड़ा मुख्य मार्ग पर उत्तर प्रदेश का अंतिम रेलवे स्टेशन गहमर है ।यहां से गुजरने वाले हर जानकार यात्री गहमर की धरती को नमन जरूर करता है
एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर में 'आदिशक्ति मां कामाख्या का मंदिर' वर्षों से पूर्वांचल के लोगों के आस्था एवं विश्वास का केंद्र है । चैत्र नवरात्र में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए यहां आते हैं एवं रामनवमी और पूर्णिमा के दिन भव्य मेले का आयोजन होता है ।
लखनऊ स्थित रूमी दरवाजा जो लंदन रोम पेरिस से भी सुंदर है, शुभम यादव के लेख में विस्तृत जानकारी दी गई है ।
अंडमान निकोबार का वह सेल्यूलर जेल जहां क्रांतिकारियों पर ढाये जुल्म को जानकर अंतरात्मा सिहर जाती है और हम पढ़ते रहे ,दे दी हमें आजादी खड्ग बिना ढाल....
किस तरह आजादी के मतवालों को कोल्हू में बैल के स्थान पर जोत जाता था, कितनी यातनाएं....उफ.. संध्या गोयल सुगम्या ने अपने लेख में इसे उकेरा है। वहीँ हिमाचल प्रदेश का पंचवक्त्र मंदिर जो तंत्र साधना का एक प्रमुख केंद्र भी है , रूपेश्वरी शर्मा ने विस्तृत जानकारी दी ।
त्रिपुरा से 'दीवाली पर होती है मां काली की पूजा' में डॉ. अर्पिता अग्रवाल के लेख, देवी त्रिपुर सुंदरी के बारे में पढ़ती हुई 2014 में मेरी त्रिपुरा-यात्रा को जीवंत कर दिया। उदयपुर के बाहरी भाग में स्थित त्रिपुर सुंदरी के मंदिर को 'माताबारी' भी कहते हैं, जिसका स्थान 51 शक्तिपीठों में है, देवी सती का यहां दाहिना पैर गिरा था । मैंने पुजारीजी से बहुत ही अनुनय - विनय किया था, मेरी आंखों से आंसू बहने लगे थे तो उन्होंने मुझे अंदर ले जाकर देवी मां के दाहिने पांव के अंगूठे का जो एक बड़े से कटोरे में था, दर्शन कराया था । वहां का प्रसाद भी बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं -छोटे-छोटे पेड़े....
असम के 'जगन्नाथपुरी की प्रतिकृति है डिब्रूगढ़ का जगन्नाथ मंदिर' दर्शन करते हैं तो हरियाणा से 'चले, गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब जी ' में भी मत्था टेक लेते हैं । महाराष्ट्र से 'खंडोबा : जहां चढ़ता है हल्दी का भोग' से रोचक मान्यता की जानकारी मिलती है कि सफल दांपत्य के लिए पति अपनी पत्नी को गोदी में उठाकर कुछ सीढ़ियां चढ़े तो उनका दांपत्य जीवन सुखमय हो जाता है... बढ़िया
छत्तीसगढ़ का खजुराहो -भोरमदेव चित्र सहित जानकारी देती है तो वीरों की भूमि मेवाड़ लेख में हम राजस्थान का दर्शन भ्रमण करते हैं । प्रणाम पर्यटन एक पत्रिका से आगे बढ़कर दस्तावेज है जो संग्रहणीय है।
मीनू मिनल सिन्हा
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