मंगल मेहता प्रतापगढ़ (राजस्थान) प्रतापगढ़ (राजस्थान) पहाड़ी घने जंगलों के विस्तार वाले राजस्थान के सर्वाधिक पिछड़े जिले या आदिवासी जिले प्रतापगढ़ को विश्व मानचित्र पर पहचान दिलाने के लिए, जिला प्रशासन की ओर से पहल कीगई है। जिसके तहत यहां के पारिस्थितिकी पर्यटन, आध्यात्मिक पर्यटन, ग्रामीण पर्यटन को एक नई पहचान और बढ़ावा मिलेगा। प्रतापगढ़ में अन्य जिलों की तुलना में पर्यटन सुविधाएं अब तक विकसित नहीं हो पाई है। उसको ध्यान में रखते हुए जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने यहां के सभी छिपे हुए पहलुओं को पहले जाना और समझा। स्थानीय प्रकृति-संस्कृति के जानकारों के साथ मिल कर रूप रेखा तैयार की तथा इस ओर प्रयास करते हुए एक विडियो, कॉफी टेबल बुक और सोशल मीडिया हैंडल आदि जारी किए। डॉक्यूमेंट्री विडियो, कॉफी टेबल बुक और यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम पेज का विमोचन Pratapgarh an uncharted haeven नामक इस 4मिनट की फिल्म में यहां की मुख्य प्राकृतिक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विशेषताओं का पर्यटन की दृष्टि से फिल्मांकन किया गया है। विडियो में सीतामाता अभ्यारण्य और यहां के जंगलों के विहंगम दृश्यों को प्रमुखता से दिखाया गया है, जिसके साथ गोतमेश्वर जाखम बांध आदि के भी सुंदर दृश्य है। विडियो में प्रतापगढ़ की तथ्य परक रोचक जानकारियां की बताई गई है। साथ ही "marvelous! Pratapgarh"कॉफी टेबल बुक में प्रतापगढ़ (कांठल क्षेत्र) की उपरोक्त समस्त आकर्षणों के साथ ही अन्य कलात्मक और ऐतिहासिक विषयों को भी शामिल किया गया हे। लेखन - संपादन मंगल मेहता ने किया है जो एक लेखक और संरक्षणवादी है। इन सभी से संबधित पोस्ट भी लगातार इंस्टाग्राम पेज पर शेयर की जा रही है। जिससे लगता है प्रतापगढ़ जिला अब जल्दी ही पर्यटन की मुख्य धारा में शामिल हो पाएगा और विकासशील इस क्षेत्र की छवि भी सुधरेगी। इस पुस्तिका को भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों के कार्यालयों, होटल्स में भिजवाया जायेगा। जिससे वहां आने वाले पर्यटक सीधे प्रतापगढ़ के बारे में जान पाएंगे। निश्चित ही उनके कदम इस अनूठे जिले की तरफ भी बढ़ेंगे। पुस्तक में प्रतापगढ़ के जंगल, जैवविविधता, वन्यजीव, ऐतिहासिक स्थल, प्रागैतिहासिक स्थल, यहां के भोज्य पदार्थ, थेवा कला, आदिवासी संस्कृति और पुरातात्विक स्थलों को शामिल किया गया है। यह कॉफी टेबल बुक प्रतापगढ़ की विलक्षणता की एक जीवंत छाप छोड़ती है।किताब में प्रतापगढ़ को जैव, संस्कृति और कलात्मक विविधताओं का खजाना कहा गया है! जैसा कि ये है भी। गौरतलब हे की यहां सीतामाता वन्य जीव अभयारण्य की जैवविविधता, प्रतापगढ़ के हस्तशिल्प और पाक कलाएं, कांठल की आदिवासी संस्कृति और कुछ देव स्थल भी विश्व प्रसिद्ध है । लेकिन प्रतापगढ़ जिला पर्यटन मानचित्र पर स्थान नहीं बना पाया है।
यह सब आयोजन कॉलेज ऑडिटोरियम में "कांठल संध्या" कार्यक्रम के तहत किया गया जिसमें बीकानेर के गायक कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी गई। कार्यक्रम में एस.पी. अमित कुमार, डीएफओ हरिकिशन सारस्वत, विधायक हेमंत मीणा, चंद्रशेखर मेहता, एड. एस.पी. भागचंद मीना, नगर परिषद आयुक्त जितेंद्र मीणा, सभापति रामकन्या गुर्जर आदि गणमान्य के साथ नागरिक एवं युवा उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचानल सुधीर वोरा ने किया। *डीएफओ हरिकिशन सारस्वत साहब ने कहा की वे पहले संभाग के बांसवाड़ा जिले में पदस्थापित रहे हैं। इस क्षेत्र की प्राकृतिक समृद्धि और लोक जीवन से परिचित हैं। उन्होंने बताया कि प्रतापगढ़ प्राकृतिक सुंदरता का भंडार है यहां पर्यटक आयेगा ही। यह राजस्थान का नंबर 01 जिला है। जिसे लगभग 2लाख हेक्टेयर का वन क्षेत्र मिला है। आगे उद्बोधन में उन्होंने कहा की आने वाली पीढ़ी को अच्छा वन क्षेत्र मिल पाए इस और और भी अच्छे कार्य करने है।*
*Sp अमित कुमार का कहना है की- प्रतापगढ़ जिला प्राकृतिक संपदा से भरा पड़ा है। यहां कई प्रकार की कलाएं है, विविधताएं हैं। लोग सृजनात्मक हो, पर्यटन की अपार संभावनाओ को समझें, ओर इस हेतु प्रयास करें। पर्यटन उद्योग में हमारा जिला पहचान बनाए। पर्यटन से लोगो को आजीविका के साधन मिलेंगे। आर्थिक सुधार होगा।* *संपादक मंगल मेहता का कहना है की - सुंदर घने जंगलों, कलाओं, आदिवासी ग्रामीण संस्कृति के लिए विख्यात ऐतिहासिक प्रतापगढ़ जिला पर्यटन की संभावनाएं होते हुए भी पीछे रहा है। इस और प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान गया और उन्होंने अभूतपूर्व प्रयास करना शुरू कर दिया। लगता है अब हमारा जिला जल्दी ही अपनी पहचान बनाएगा। प्रतापगढ़ के प्रचार प्रसार में किए गए उपक्रमों से यह भी संदेश जाएगा की" राजस्थान मात्र एक सूखा रेगिस्तान नहीं है"।* *विधायक हेमंत मीणा (केबिनेट मंत्री) का कहना है की - एसपी साहब का कार्य सराहनीय है। इस हेतु और भी काम करने की आवश्कता है। जिसका भी सहयोग रहा प्रशंसनीय है। जिले के विकास और शांति के लिए वे हर कदम पर प्रशासन के साथ है।*