योगी आदित्यनाथ ने किया 'महंत श्री परमहंस रामचंद्र दास जी' की मूर्ति का अनावरण
अयोध्या धाम एक बार फिर से त्रेता युग का स्मरण करता हुआ दिखाई दे रहा : मुख्यमंत्री
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग
लखनऊ / उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज जनपद अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि न्यास के पूर्व अध्यक्ष तथा दिगंबर अखाड़ा, अयोध्या के पूर्व महंत ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज की 21वीं पुण्यतिथि पर उनकी सरयू घाट/रामकथा पार्क स्थित समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित कर विनम्र श्रद्धांजलि दी। इसके पश्चात उन्होंने मणिराम दास छावनी पहुंचकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत श्री नृत्य गोपाल दास जी महाराज से भेंट की तथा उनकी कुशलक्षेम पूछकर उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना की।
मुख्यमंत्री ने बड़ा भक्तमाल पहुंचकर श्री किशोरदास जी महाराज से भेंट की। तत्पश्चात उन्होंने दिगंबर अखाड़ा पहुंचकर श्रीराम जन्मभूमि न्यास के प्रथम अध्यक्ष श्री दिगंबर अखाड़ा के साकेतवासी महंत श्री परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज की 21वीं पुण्यतिथि पर दिगंबर अखाड़ा परिसर में उनकी मूर्ति का अनावरण किया। मुख्यमंत्री जी ने यहां पूजन-अर्चन व पौधरोपण भी किया।इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के परम भक्त पूज्य संत परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज की पुण्यतिथि है। उनका पूरा जीवन श्री राम जन्मभूमि के लिए समर्पित रहा व उन्होंने इस आंदोलन को अपने जीवन का मिशन बनाया। उन्होंने कहा कि आज उन्हें ऐसे पूज्य संत की दिव्य और भव्य प्रतिमा के अनावरण का अवसर प्राप्त हुआ। परमहंस जी महाराज की मूर्ति की परिकल्पना इस प्रकार की गई है कि मूर्ति को देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे कि वह कुछ बोलने वाले हैं।
उन्होंने आगे कहा कि वह जैसे ही समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित करने गए तो उससे पहले हुई वर्षा से ऐसा लग रहा था मानो इंद्र भगवान प्रसन्न होकर पुष्प वर्षा कर रहे हैं। समाधि स्थल पर पहुंचने पर बारिश कुछ देर के लिए बंद हुई तथा वहां से प्रस्थान करने पर पुनः होने लगी। हम मान सकते हैं कि यज्ञ की पूर्णाहुति में पूज्य संत परमहंस जी महाराज का सान्निध्य हमें प्राप्त हुआ है। आत्मा अजर और अमर है। यह शाश्वत सत्य है। आज महाराज जी की दिव्य आत्मा इस वर्ष प्रभु श्री राम मंदिर के संकल्प के पूर्ण होने का साक्षी बन रही है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब परमहंस जी महाराज की बात आती है, तो गोरक्षपीठ गोरखपुर तथा दिगंबर अखाड़ा अयोध्या के एक दूसरे के पूरक के रूप में कार्य करने का पता चलता है। यह स्थिति आज से नहीं बल्कि 1940 के दशक से है। जब महाराज जी बचपन में अयोध्या धाम आए थे, तभी से उनका गोरक्षपीठ के साथ लगाव था। वह तत्कालीन गोरक्ष पीठाधीश्वर पूज्य महंत दिग्विजय नाथ जी महाराज के सान्निध्य में रहकर, श्री राम जन्मभूमि आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए रणनीति का हिस्सा बने। उन्होंने वर्ष 1949 में प्रभु श्री रामलला के प्रकटीकरण के साथ ही उनकी प्रतिमा को हटाने के कुत्सित प्रयास व दुरभि संधि को विफल करने के लिए न्यायालय में जाने, न्यायालय से लेकर सड़क तक इस लड़ाई को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने का कार्य किया। वह गोरक्षपीठ व पूज्य संतो के साथ मिलकर इस आंदोलन को आगे बढ़ाते रहे। आज इसी का परिणाम है कि पूज्य संतों की साधना फलीभूत हुई।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के यशस्वी नेतृत्व व मार्गदर्शन में इस दिशा में प्रारंभ हुए प्रयासों के परिणामस्वरूप 500 वर्षों की प्रतीक्षा समाप्त हुई। माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के क्रम में 05 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री जी ने प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण कार्य का शिलान्यास व भूमि पूजन का कार्य संपन्न किया था तथा उन्हीं के कर कमलों द्वारा 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या नगरी में प्रभु श्री रामलला विराजमान हुए। यह तिथियां न केवल देश और दुनिया के सनातन धर्मावलंबियों के लिए स्मरणीय बन गईं, बल्कि दुनिया के अंदर जहां कहीं भी आस्था के साथ खिलवाड़ हुआ, उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा बनीं। इसके साथ ही देश व दुनिया में अयोध्या धाम एक बार फिर से त्रेता युग का स्मरण करता हुआ दिखाई दे रहा है। इससे अयोध्या के संतों का गौरव बढ़ा तथा अयोध्या को नई पहचान प्राप्त हुई। परमहंस महाराज जी को यह अनुभव हो रहा होगा कि उनका संकल्प पूरा हुआ तथा अयोध्या में प्रभु श्री राम विराजमान हुए। स्व0 पूज्य संतों की आत्माओं को असीम शांति प्राप्त हुई होगी। उन्हें यह विश्वास हुआ होगा कि उनकी वर्तमान पीढ़ी भी सही दिशा में कार्य कर रही है। उनका आशीर्वाद प्रधानमंत्री जी को प्राप्त हुआ।
भारत की न्यायपालिका की शक्ति का एहसास पूरी दुनिया ने किया। पहले लोग कहते थे कि यदि फैसला श्री राम मंदिर के पक्ष में हुआ, तो सड़कों पर खून की नदियां बहेंगी। पूज्य संतों ने बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने का भरपूर प्रयास किया। लेकिन जब बातचीत के सारे रास्ते बंद हो गए तथा तत्कालीन सरकार की हठधर्मिता आड़े आने लगी तो पूज्य संतों ने लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष का रास्ता चुना। संपूर्ण देश में पूरी मजबूती के साथ आंदोलन आगे बढ़ा।
योगी आदित्यनाथ ने कहा की परमहंस दास जी महाराज उनके पूज्य गुरु तुल्य थे। जब वह प्रयागराज या लखनऊ जाते थे तो, उनके पूज्य गुरु अयोध्या जाकर परमहंस जी का हाल-चाल लेने के बारे में पूछते थे। पूज्य गुरु परमहंस जी महाराज को गुरु भाई मानते थे। परमहंस जी के फक्कड़ व मस्ती भरे अंदाज के कारण कई लोग उनकी दिव्यता व चमत्कारिकता का अनुभव नहीं कर पाते थे। उनमें अद्भुत नेतृत्व क्षमता, वात्सल्य भाव तथा सरलता थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम परमहंस जी महाराज को इसलिए स्मरण कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने अपना जीवन सनातन धर्म के मूल्यों को मजबूती प्रदान करने के लिए समर्पित किया। अन्य चीजें उन्हें कभी उनके पथ से विचलित नहीं कर पाती थीं। वह प्रभु श्री राम के जीवन आदर्शों के लिए आजीवन लड़ते रहे। जब वह परमहंस महाराज जी से उनके अंतिम संकल्प के बारे में पूछते थे तो वह कहते थे कि अयोध्या में फिर से प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर बने यही उनका अंतिम संकल्प है। अन्य संतगण भी यही बात कहते थे। पूज्य संतों का संकल्प जब एक दिशा तथा एक साथ आगे बढ़ा तो अयोध्या में भगवान राम लला के मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान विश्व परिदृश्य में घटित हो रही विभिन्न घटनाओं के लिए जिम्मेदार कारणों का पता लगाना पड़ेगा। आज भारत के अनेक पड़ोसी देश जल रहे हैं। मंदिर तोड़े जा रहे हैं। हिंदुओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है। हम तब भी इतिहास की उन परतों को खोलने का प्रयास नहीं कर रहे हैं, जिनसे यह परिस्थिति उत्पन्न हुई। जो समाज इतिहास की गलतियों से सबक नहीं सीखता है, उसके उज्ज्वल भविष्य पर ग्रहण लग जाता है। सनातन धर्म के लिए एक बार फिर एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता है। प्रभु श्री राम मंदिर का निर्माण मंजिल नहीं, बल्कि एक पड़ाव है। इसे आगे भी निरंतरता प्रदान करनी है। सनातन धर्म की मजबूती इन सभी अभियानों को नई गति प्रदान करती है। जातिवाद तथा छुआछूत से मुक्त एक ऐसे समाज की स्थापना करना है, जिसके लिए प्रभु श्री राम ने अपना पूरा जीवन समर्पित किया था। इसीलिए अयोध्या को उसकी पहचान दिलाने हेतु अयोध्या धाम में इसका प्रयास किया गया है। इस पहचान ने अयोध्यावासियों को देश और दुनिया में गौरवान्वित किया है।
अयोध्यावासी जब देश और दुनिया में जाते हैं, तो लोग उन्हें सम्मान की दृष्टि देखते हैं। हमें इस सम्मान को बनाए रखने के लिए अपने स्तर पर प्रयास करने होंगे। प्राप्त सम्मान को सुरक्षित और संरक्षित करने पर आप सभी लंबे समय तक इस सम्मान के पात्र बने रहेंगे। अयोध्या धाम को त्रेता युग के धाम के रूप में स्थापित करने के संकल्पों के साथ अयोध्या वासियों को भी जुड़ना पड़ेगा। स्थानीय स्तर पर पूज्य संतों को भी अपना सान्निध्य प्रदान करना पड़ेगा। इस सम्मान को बनाए रखने के लिए निरन्तर प्रयास करना पड़ेगा।
यही कार्य यहां पर डबल इंजन सरकार कर रही है। अयोध्या नगरी के सुंदरीकरण तथा फोरलेन सड़कों के निर्माण जैसे अनेक कार्य किए गए हैं। 05-07 वर्षाें बाद अयोध्या आने वाले लोग यहां आकर अचंभित होते हैं। उन्हें लगता है कि वह किसी नई जगह पर आ गए हैं। पहले यहां एयरपोर्ट नहीं था, अब इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सौगात मिली है। देश और दुनिया से अयोध्या धाम की कनेक्टिविटी बढ़ी है। यहां रेलवे की बेहतरीन सुविधा प्राप्त हुई है। राम जी की पैड़ी के सुंदरीकरण का कार्य हुआ है। पुरातन मठ व मंदिरों के सुंदरीकरण के लिए उन्हें फसाड लाइटों से जोड़ने के कार्यक्रम को तेजी के साथ गति प्राप्त हुई है। किए गए प्रयासों का ही परिणाम है कि आज अयोध्या के लिए किए गए सारे संकल्प पूर्ण होते हुए दिखाई दे रहे हैं। अयोध्या धाम सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ा है। उन्होंने कहा कि इस क्रम को निरंतरता प्रदान की जा सके इसलिए वह अयोध्या आकर बार-बार पूज्य संतों का सान्निध्य प्राप्त करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभु श्रीराम के वनवास के समय निषादराज उनके सबसे पहले साथी बने थे। निषादराज के नाम पर यहां रैन बसेरों के निर्माण का कार्य किया जा रहा है। त्रिकालदर्शी ऋषि महर्षि वाल्मीकि ने प्रभु श्री राम की गाथा को सबसे पहले लिपिबद्ध करने का कार्य किया था। अयोध्या में महर्षि वाल्मीकि के नाम पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना है। यहां यात्रियों के लिए बनने वाले भंडारे में सुस्वादु व्यंजन माता शबरी रसोई में तैयार किया जाता है। माता शबरी ने प्रभु श्री राम को चुन चुन कर बेर खिलाए थे।
हम सभी प्रभु राम के भक्त हैं। हमें उनके मार्गों व आदर्शों का अनुसरण करना चाहिए। कथनी व करनी में अंतर होने पर हमें पुण्य की प्राप्ति नहीं हो सकती। ‘शिवो भूत्वा शिवं यजेत’ अर्थात् हमें शिव की भक्ति के लिए शिव के अनुरूप बनना पड़ेगा। यदि हम इस अनुरूप नहीं बनेंगे तो भक्ति का लाभ नहीं मिल पाएगा।
इस अवसर पर दिगंबर अखाड़ा के पूज्य संत सुरेश दास जी महाराज, जगद्गुरु रामानुजाचार्य वासुदेवाचार्य जी महाराज, जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी महाराज, राघवाचार्य जी महाराज, धर्मदास जी महाराज, विजय कौशल जी महाराज, दिगंबर अखाड़ा अयोध्या के उत्तराधिकारी महंत राम लखन दास जी महाराज, कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही, श्रम एवं सेवायोजन राज्य मंत्री श्री मनोहर लाल मन्नू कोरी, महापौर गिरीश पति त्रिपाठी, विधायक श्री वेद प्रकाश गुप्त, श्री अमित सिंह चैहान व श्री रामचन्द्र यादव, अन्य जनप्रतिनिधिगण, संत जन तथा श्रद्धालुगण उपस्थित थे।
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