सुरेश सौरभ की कहानियाँ भारतीय जनमानस की चेतना और चिंतन की गहरी संवेदना से जुड़ी हैं : डा. द्वारिका प्रसाद रस्तोगी
लखीमपुर- 'भीगते सावन' की कहानियाँ जॉन कीट्स की रचनात्मक सौन्दर्य सी प्रतीत होती है। यह विचार नगर पालिका सभागार में सिधौली के युवा कवि कार्यक्रम संचालक देवेन्द्र कश्यप' निडर' ने सुरेश सौरभ के 'भीगते सावन कहानी संग्रह के' विमोचन समारोह में 17 ननबंबर 2024 को व्यक्त किये। मुख्य अतिथि गोला गोकर्णनाथ के वरिष्ठ कवि डा. द्वारिका प्रसाद रस्तोगी ने कहा 'सुरेश सौरभ की कहानियाँ भारतीय जनमानस की चेतना और चिंतन की गहरी संवेदना से जुड़ी हैं। समीक्षा करते हुए कवि विनोद शर्मा 'सागर' ने कहा कि संग्रह की कहानियाँ मानवीय संवेदना एवं संचेतना का साक्षात्कार कराती हैं। सौरभ जी की समाज की परिस्थतियों पर गहरी पकड़ है। अध्यक्षता कर रहे सत्य प्रकाश 'शिक्षक' ने कहा 'भीगते सावन लोक संवेदना का दस्तावेज है। संग्रह की कहानियों में भारतीय जनमानस की जन चेतना को उकेरा गया। है। विशिष्ट अतिथि जोगिंदर सिंह चावला ने भीगते सावन की चर्चा करते हुए कहा ' शिक्षा और समाज सेवा में रतन टाटा का अमूल्य योगदान है। उनकी मूर्ति लखीमपुर जनपद में लगनी चाहिए। रमाकान्त चौधरी ने लघुकथा 'गोश्त' का वाचन किया। सुरेश सौरभ ने 'भीगते सावन' कहानी संग्रह से 'एक था ठठेरा' का वाचन किया। मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों ने सुरेश सौरभ के कहानी संग्रह भीगते सावन का विमोचन किया। श्याम किशोर 'बेचैन', विकास सहाय ,अनुराग पटेल, बेबी आराध्या, बेबी कृति ने काव्य पाठ किया। विशिष्ट अतिथि डॉ. मृदुला शुक्ला 'मृदु' ने अपने कहानी संग्रह संतू जाग गया से 'चिकारा और प्रकाश' कहानी का वाचन किया। कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता गुलाब चंद, कहानीकार वेद प्रकाश, रामबाबू, राष्ट्र भाषा सेवा समिति के अभय अग्निहोत्री, कवि उमाकांत त्रिपाठी, हरे कृष्ण अवस्थी, धर्मेन्द्र कुमार, धीरेंद्र, नीरज श्रीवास्तव,रिषभ, शगुन, आदि लोग उपस्थित रहे। आभार कार्यक्रम संयोजक रमाकांत चौधरी ने वयक्त किया।
अंजू ,लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश
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