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उत्तर प्रदेश के धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों में चित्रकूट का विशेष स्थान है। यही वह भूमि है, जहां भगवान श्रीराम ने अपने वनवास का एक महत्वपूर्ण समय बिताया था। इसी पावन भूमि पर पिछले 51 वर्षों से राष्ट्रीय रामायण मेला आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष, 52वां राष्ट्रीय रामायण मेला 26 फरवरी से 02 मार्च 2025 तक आयोजित किया जाएगा। यह मेला संस्कृति एवं पर्यटन विभाग उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से आयोजित हो रहा है। इस भव्य आयोजन का उद्घाटन प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री बृजेश पाठक करेंगे, जबकि समापन समारोह में तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामानंदाचार्य पद्मविभूषण स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज उपस्थित रहेंगे।
रामायण मेले की विशेषताएँ राष्ट्रीय रामायण मेला केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पर्व भी है, जो लोगों को आध्यात्मिकता, भक्ति और भारतीय संस्कृति के मूल्यों से परिचित कराता है।
धार्मिक प्रवचन और भजन संध्या: मेले में प्रसिद्ध संतों और विद्वानों द्वारा श्रीराम के आदर्शों और जीवन मूल्यों पर आधारित प्रवचन किए जाएंगे।
नृत्य-नाटिका और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ: विभिन्न नृत्य-नाटिकाएँ, रामायण प्रसंगों पर आधारित नाटक और भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ आयोजित की जाएंगी।
रामायण के संदेशों का प्रचार-प्रसार: इस मेले के माध्यम से रामायण की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुँचाया जाता है, जिससे समाज में नैतिक मूल्यों का प्रचार होता है।
पर्यटन और धार्मिक महत्व चित्रकूट न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी एक प्रमुख स्थल है। इस मेले के दौरान हजारों श्रद्धालु और पर्यटक यहाँ आते हैं और विभिन्न धार्मिक स्थलों का दर्शन करते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
कामदगिरि पर्वत: चित्रकूट का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल, जहां श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं।
गुप्त गोदावरी: यह गुफाएँ भगवान राम और लक्ष्मण के प्रवास काल से जुड़ी हुई हैं।
हनुमान धारा: यह स्थल भगवान हनुमान की तपस्या से जुड़ा हुआ है और यहाँ एक सुंदर झरना बहता है।
संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री का संदेश संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री जयवीर सिंह ने इस अवसर पर अपने संदेश में कहा कि राष्ट्रीय रामायण मेला भारतीय संस्कृति और धर्म का अद्भुत संगम है। इस मेले के माध्यम से हम रामायण के संदेशों को जन-जन तक पहुँचाते हैं, जिससे न केवल हमारे धार्मिक मूल्यों को प्रोत्साहन मिलता है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण भी होता है।
महाशिवरात्रि और मेले का विशेष महत्व इस बार का रामायण मेला महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक बनेगा। हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए यहाँ आएंगे और इस ऐतिहासिक मेले का आनंद उठाएंगे।
निष्कर्ष चित्रकूट में आयोजित राष्ट्रीय रामायण मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक उत्सव है, जो भारतीय परंपराओं, धार्मिक मूल्यों और सामाजिक समरसता को मजबूत करता है। यह मेला भारतीय संस्कृति का एक जीवंत प्रतीक है, जो भक्ति, आस्था और आध्यात्मिकता का अनोखा अनुभव प्रदान करता है। यदि आप भारतीय संस्कृति और रामायण की गाथा को करीब से अनुभव करना चाहते हैं, तो यह मेला आपके लिए एक सुनहरा अवसर है।
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