image:ndtv |
राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को मिली वैश्विक पहचान
मध्य प्रदेश को अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। अब राज्य के चार प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों को UNESCO की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया गया है, जो कि एक बड़ी उपलब्धि है। ये स्थल हैं:
- अशोककालीन शिलालेख स्थल
- चौंसठ योगिनी मंदिर
- गुप्तकालीन मंदिर
- बुंदेलकालीन महल और किले
इस सूची में शामिल होने के बाद इन स्थलों को विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) का दर्जा मिलने की संभावना और बढ़ गई है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस उपलब्धि को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है।
1. अशोककालीन शिलालेख स्थल: सम्राट अशोक की शिक्षाओं का प्रमाण
"अशोककालीन शिलालेख स्थल - मौर्यकालीन मार्गों के साथ" को भारत के सबसे पुराने लिखित दस्तावेजों में से एक माना जाता है। इन शिलालेखों पर सम्राट अशोक की बौद्ध धर्म, शासन और नैतिकता पर आधारित शिक्षाएँ खुदी हुई हैं, जिन्हें लगभग 2200 वर्ष पूर्व उकेरा गया था।
प्रमुख स्थल:
- पंगुरारिया शिलालेख (सीहोर)
- गुज्जारा शिलालेख (दतिया)
- रुपनाथ शिलालेख (जबलपुर)
- सांची के स्तंभ (विदिशा)
ये सभी स्थल सम्राट अशोक की ज्ञानपूर्ण शिक्षाओं की झलक देते हैं और भारतीय इतिहास में उनके योगदान को दर्शाते हैं।
2. चौंसठ योगिनी मंदिर: रहस्यमयी और अद्भुत स्थापत्य कला
चौंसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश के खजुराहो, मुरैना, जबलपुर, मंदसौर और शहडोल में स्थित हैं। ये मंदिर 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच बने और अपनी अनूठी गोलाकार संरचना और भव्य पत्थर की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं।
मंदिर की विशेषताएँ:
✅ 64 योगिनियों को समर्पित – योगिनी तंत्र और योग की विदुषी महिलाएँ थीं।
✅ शिव और पार्वती का मंदिर – गोलाकार आंगन के केंद्र में स्थित।
✅ 84 कक्षों की विशेष संरचना – जिनमें से 81 कक्षों में मूर्तियाँ स्थापित हैं।
मध्यकालीन भारत के तांत्रिक परंपरा और दिव्य शक्ति की आराधना के साक्ष्य के रूप में ये मंदिर बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
3. गुप्तकालीन मंदिर: भारतीय मंदिर वास्तुकला की अनमोल धरोहर
गुप्त काल को भारतीय शास्त्रीय कला और स्थापत्य का स्वर्ण युग माना जाता है। मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में फैले ये मंदिर 4वीं से 6वीं शताब्दी के दौरान निर्मित हुए थे और भारतीय मंदिर निर्माण शैली के शुरुआती प्रमाणों में से एक हैं।
प्रमुख गुप्तकालीन मंदिर:
- उदयगिरि मंदिर (विदिशा)
- नचना मंदिर (पन्ना)
- टिगावा मंदिर (कटनी)
- भूमरा मंदिर (सतना)
- साकोर मंदिर (दमोह)
- देवरी मंदिर (सागर)
- पावाया मंदिर (ग्वालियर)
सांची के महान स्तूप के निकट स्थित गुप्तकालीन मंदिर (टेंपल नंबर 17) 5वीं शताब्दी में बना था और यह भारतीय मंदिर निर्माण कला की प्राचीनतम झलक प्रस्तुत करता है।
4. बुंदेलकालीन महल और किले: भव्यता और वास्तुकला का संगम
बुंदेला राजाओं ने मध्यकाल में कई अद्भुत महल और किलों का निर्माण किया, जो राजपूत और मुगल स्थापत्य कला का अद्भुत मिश्रण हैं। अब इन किलों को भी UNESCO की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया गया है।
मुख्य स्थल:
- गढ़कुंदर किला
- राजा महल (ओरछा)
- जहाँगीर महल (ओरछा)
- दतिया महल (दतिया)
- धुबेला महल (छतरपुर)
ये सभी किले मध्यकालीन युद्ध कला, समृद्ध संस्कृति और कलात्मकता के प्रतीक हैं।
मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को विश्व पहचान
मध्य प्रदेश अब UNESCO की टेंटेटिव लिस्ट में 15 सांस्कृतिक स्थलों के साथ भारत के प्रमुख सांस्कृतिक स्थलों में शामिल हो चुका है। राज्य में पहले से ही तीन स्थायी विश्व धरोहर स्थल (Permanent UNESCO Heritage Sites) हैं:
- खजुराहो मंदिर समूह
- भीमबेटका गुफाएँ
- सांची के बौद्ध स्तूप
अब, इन नए चार स्थलों को भी स्थायी विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिलने की संभावना बढ़ गई है।
पर्यटन और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
✅ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा मिलेगा।
✅ देश-विदेश से पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय व्यवसाय और होटल उद्योग को लाभ होगा।
✅ स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को अपनी कला को प्रदर्शित करने का मंच मिलेगा।
✅ सरकार द्वारा पर्यटन सुविधाओं में सुधार किए जाने से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
निष्कर्ष: मध्य प्रदेश बन रहा है सांस्कृतिक पर्यटन का केंद्र
मध्य प्रदेश न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य, टाइगर सफारी और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अब यह राज्य विश्व धरोहर स्थलों की सूची में और अधिक पहचान बना रहा है।
यदि आप इतिहास, संस्कृति और कला में रुचि रखते हैं, तो अगली बार मध्य प्रदेश की यात्रा पर इन स्थानों को अपनी लिस्ट में ज़रूर शामिल करें!
0 टिप्पणियाँ