Holi festival in Mathura-Vrindavan, India. The scene captures a vibrant celebration with people dressed in traditi


 भारत में होली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि संस्कृति, आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम है। और जब बात होली की हो, तो मथुरा-वृंदावन और ब्रज क्षेत्र का जिक्र होना लाज़मी है। यहां होली का उत्सव सिर्फ एक-दो दिन नहीं, बल्कि पूरा 40 दिन तक चलता है! 🌸🎨

अगर आप रंगों के इस महासमर का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो यह यात्रा आपके लिए जीवनभर का यादगार अनुभव बन सकती है। आइए जानते हैं, इस साल (2025) के मथुरा-वृंदावन रंगोत्सव के बारे में विस्तार से।

ब्रज की होली: परंपरा, भक्ति और रंगों का संगम

माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने पहली बार ब्रज में होली खेली थी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है और हर साल हजारों श्रद्धालु इस अनूठे महोत्सव में शामिल होते हैं।

यहाँ की होली सिर्फ रंगों की नहीं, बल्कि इसमें लट्ठमार होली, फूलों की होली, लड्डू होली, हुरंगा और चरकुला नृत्य जैसे कई रोमांचक आयोजन भी शामिल हैं।

ब्रज की होली 2025: मुख्य तिथियाँ और कार्यक्रम

📅 07 मार्च: बरसाना में लड्डू होली 🎭

  • इस दिन लाडली जी मंदिर में श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं और एक-दूसरे पर लड्डू फेंककर होली की शुरुआत करते हैं।
  • यह एक आशीर्वाद देने की परंपरा मानी जाती है।

📅 08 मार्च: बरसाना में लट्ठमार होली 🪓

  • यह सबसे मशहूर होली है, जिसमें महिलाएँ (गोपियाँ) पुरुषों (ग्वालों) को लाठियों से मारती हैं और पुरुष खुद को बचाने की कोशिश करते हैं।
  • यह परंपरा श्रीकृष्ण के समय से चली आ रही है, जब वे अपनी सखाओं के साथ राधा जी के गाँव बरसाना आते थे और गोपियों से होली खेलते थे।

📅 09 मार्च: नंदगांव में लट्ठमार होली 🏹

  • बरसाना के बाद नंदगांव में लट्ठमार होली खेली जाती है, जहाँ इस बार नंदगाँव के पुरुष बरसाना की महिलाओं को होली खेलने के लिए बुलाते हैं।

📅 10 मार्च: वृंदावन में फूलों की होली 🌸

  • इस दिन बांके बिहारी मंदिर में रंगों की जगह फूलों से होली खेली जाती है।
  • यह नज़ारा देखने लायक होता है और श्रद्धालु इसे भक्ति का सबसे सुंदर रूप मानते हैं।

📅 11 मार्च: गोकुल में छड़ीमार होली 🏏

  • इस दिन गोकुल में छड़ी से होली खेलने की परंपरा होती है।
  • इसे देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

📅 13 मार्च: होलिका दहन 🔥

  • इस दिन पूरे ब्रज में होलिका दहन का आयोजन किया जाता है, जहाँ बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है।

📅 14 मार्च: पूरे ब्रज में धुडेली 🎨

  • इस दिन ब्रज का हर कोना रंगों और गुलाल से सराबोर रहता है।
  • लोग सड़कों पर निकलकर अबीर-गुलाल उड़ाते हैं और भांग-ठंडाई का आनंद लेते हैं।

📅 15 मार्च: दाऊजी और नंदगांव में हुरंगा 🕺

  • इस दिन बलदेव (दाऊजी मंदिर) में हुरंगा खेला जाता है, जहाँ गोपियाँ पुरुषों पर रंग डालती हैं और पुरुष खुद को बचाने की कोशिश करते हैं।

📅 18 मार्च: मुखरई में चरकुला नृत्य 💃

  • यहां महिलाएँ सिर पर जलते हुए दीपों से सजे बड़े-बड़े चरकुले रखकर नृत्य करती हैं।
  • यह ब्रज की सबसे अनोखी होली परंपराओं में से एक है।

📅 22 मार्च: रंगनाथ मंदिर में होली उत्सव 🛕

  • यह इस रंगोत्सव का अंतिम दिन होगा, जहाँ भक्त रंग और भक्ति के इस अनोखे संगम का आनंद लेंगे।

देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खास सुविधाएँ

इस साल उत्तर प्रदेश सरकार और ब्रजतीर्थ विकास परिषद ने यह सुनिश्चित किया है कि होली का यह महोत्सव सुरक्षित, भव्य और यादगार बने।

आवास और होटल:

  • श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए धर्मशालाएँ, होटल और होमस्टे की व्यवस्था की गई है।

यातायात और परिवहन:

  • पर्यटकों की सुविधा के लिए अतिरिक्त बस और ट्रेन सेवाएँ उपलब्ध कराई गई हैं।

स्वास्थ्य सुविधाएँ:

  • जगह-जगह अस्थायी मेडिकल कैम्प और आपातकालीन सेवाएँ तैनात की गई हैं।

सुरक्षा व्यवस्था:

  • सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं, जिससे यह शांतिपूर्ण और सुरक्षित माहौल में मनाई जाए।

ब्रज की होली: क्यों है ये सबसे खास?

संस्कृति और भक्ति का संगम – यह सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि भक्ति और प्रेम का पर्व भी है।
40 दिन तक चलने वाला उत्सव – यह दुनिया के सबसे लंबे होली उत्सवों में से एक है।
दुनियाभर से पर्यटक – हर साल हजारों विदेशी पर्यटक भी इस अनोखी होली को देखने आते हैं।
पौराणिक मान्यता – यह होली भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की प्रेमकथा से जुड़ी हुई है।

निष्कर्ष

अगर आप इस बार होली को खास और यादगार बनाना चाहते हैं, तो मथुरा-वृंदावन की इस 40 दिन लंबी होली यात्रा का हिस्सा जरूर बनें! 🌸🎨

तो तैयार हो जाइए भक्ति, प्रेम और रंगों के इस अद्भुत संगम का अनुभव लेने के लिए! ब्रज में होली खेले बिना होली अधूरी है! 🚩💖