छत्रपति संभाजीनगर: औरंगजेब के मकबरे की सुरक्षा बढ़ी, बार्ब्ड वायर और धातु की चादरें लगाई गईं
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 छत्रपति संभाजीनगर, महाराष्ट्र – ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा को लेकर एक नया कदम उठाते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने मुगल बादशाह औरंगजेब के मकबरे को सुरक्षित करने के लिए धातु की चादर और कांटेदार तारों (barbed wire) की घेराबंदी कर दी है। यह मकबरा महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में स्थित है, जो छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) से लगभग 30 किलोमीटर दूर है।

इस मकबरे को लेकर हाल ही में कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा इसे हटाने की धमकी दी गई थी। इन संगठनों ने इसे अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस की तर्ज पर ‘कार सेवा’ करने की चेतावनी दी थी, जिसके बाद प्रशासन को सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने पड़े।

इतिहास से जुड़ी एक महत्वपूर्ण धरोहर

औरंगजेब का मकबरा भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह मकबरा सूफी संत हजरत जैनुद्दीन शिराजी की दरगाह परिसर में स्थित है। औरंगजेब को 1707 में दक्षिण भारत के अहमदनगर में निधन के बाद यहां दफनाया गया था। कहा जाता है कि औरंगजेब ने अपने अंतिम संस्कार के लिए स्वयं के श्रम से अर्जित धन का उपयोग किया था, और इसलिए उनका मकबरा अन्य मुगल बादशाहों के भव्य मकबरों की तुलना में बेहद साधारण है।

मकबरे को देखने हर साल हजारों पर्यटक, इतिहास प्रेमी और शोधकर्ता आते हैं। यह स्थान भारत के मुगलकालीन इतिहास का एक अहम हिस्सा है और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के महत्व को भी दर्शाता है।

सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदम

हाल ही में बढ़ते विवाद के कारण ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) ने मकबरे की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं:

✔️ धातु की चादर लगाई गई ताकि बाहरी हस्तक्षेप को रोका जा सके।
✔️ बार्ब्ड वायर (कांटेदार तार) मकबरे के आसपास की संगमरमर ग्रिल और धातु की चादर के बीच लगाया गया।
✔️ पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके।
✔️ यात्रियों और पर्यटकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे किसी भी तरह की भीड़ एकत्रित न हो सके।

ASI के एक अधिकारी ने कहा, "यह एक संरक्षित स्मारक है, और सरकार की ज़िम्मेदारी है कि इसे सुरक्षित रखा जाए। यदि किसी ऐतिहासिक स्मारक को क्षति पहुँचती है, तो यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को नुकसान पहुँचा सकता है।"

स्थानीय लोग और देखरेख करने वालों की प्रतिक्रिया

इस मकबरे की देखभाल करने वाले फिरोज़ अहमद, जो छठी पीढ़ी से इस स्थल के संरक्षक हैं, ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “पहले धातु की चादरें लगाई गईं, और अब बार्ब्ड वायर लगाया गया है। सरकार इसे सुरक्षा कारणों से कर रही है, लेकिन इससे इस ऐतिहासिक स्थल तक लोगों की पहुँच भी सीमित हो गई है।”

कुछ इतिहासकारों और स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मकबरा एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर है, जिसे किसी भी प्रकार की राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए।

पर्यटकों के लिए क्या बदला?

अभी के लिए मकबरे तक आम जनता की पहुँच प्रतिबंधित कर दी गई है।
अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय पर्यटकों को इसे देखने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
भविष्य में सुरक्षा समीक्षा के बाद पर्यटन को लेकर कोई नया निर्णय लिया जा सकता है।

हालांकि, छत्रपति संभाजीनगर और खुल्दाबाद का ऐतिहासिक महत्व केवल इस मकबरे तक सीमित नहीं है। यहाँ आने वाले पर्यटक बीबी का मकबरा, दौलताबाद किला, पंचक्की और एलोरा की गुफाओं जैसे अन्य ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं।

क्या यह निर्णय सही है?

संरक्षण बनाम राजनीति – कुछ लोगों का मानना है कि ऐतिहासिक धरोहरों को किसी भी प्रकार की राजनीति का केंद्र नहीं बनाना चाहिए और इन्हें संरक्षित स्मारक के रूप में देखा जाना चाहिए।
सुरक्षा की आवश्यकता – प्रशासन का कहना है कि विवाद के कारण सुरक्षा कड़ी करना ज़रूरी था ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके।
अंतरराष्ट्रीय छवि – भारत ऐतिहासिक धरोहरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है, और इन्हें सुरक्षित रखना हमारी संस्कृति और विरासत के लिए आवश्यक है।

निष्कर्ष

छत्रपति संभाजीनगर स्थित औरंगजेब का मकबरा सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल ही नहीं, बल्कि भारत के मुगलकालीन इतिहास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। सरकार द्वारा उठाए गए सुरक्षा कदमों को लेकर भले ही अलग-अलग राय हो, लेकिन इस स्थल के ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखना ज़रूरी है।