Chhattisgarh's Kanger Valley National Park on UNESCO's Tentative List; matter of pride, says CM Sai


छत्तीसगढ़ का कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (Kanger Valley National Park) अब विश्व धरोहर बनने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा चुका है। इसे UNESCO की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया गया है, जो कि राज्य के लिए गर्व की बात है। बस्तर जिले में फैला यह 200 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र अपनी समृद्ध जैव विविधता, खूबसूरत झरनों और रहस्यमयी गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है। यह पहला मौका है जब छत्तीसगढ़ का कोई स्थल इस प्रतिष्ठित सूची में स्थान बना पाया है।

मुख्यमंत्री विश्णु देव साई ने इस उपलब्धि को राज्य के पर्यटन और रोजगार क्षेत्र के लिए नई संभावनाओं का द्वार बताया है। उन्होंने कहा,

"यह हमारी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का परिणाम है। हम अपनी धरोहर को संरक्षित करने के लिए लगातार प्रयास जारी रखेंगे।"

क्यों खास है कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान?

  1. अविश्वसनीय जैव विविधता
    कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान विभिन्न दुर्लभ प्रजातियों का घर है, जिसमें जाइंट स्क्विरल, वाइल्ड वुल्फ, माउस डियर और ओटर जैसे वन्य जीव शामिल हैं। यहां 200 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ और 140 प्रकार की तितलियाँ पाई जाती हैं।

  2. प्रसिद्ध गुफाएँ
    इस उद्यान में 15 से अधिक लाइमस्टोन (चूना पत्थर) की गुफाएँ हैं, जिनमें कोटमसर, कैलाश और दंडक गुफाएँ सबसे प्रमुख हैं। कोटमसर गुफा भारत की सबसे लंबी गुफाओं में से एक मानी जाती है और इसके अंदर की चट्टानों पर बनी संरचनाएँ बेहद आकर्षक हैं।

  3. खूबसूरत झरने
    यहाँ के तीरथगढ़ और कांगेर धारा झरने प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं हैं। इन झरनों के आस-पास घना जंगल और पहाड़ियों का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।

  4. वनवासी संस्कृति और परंपराएँ
    यह क्षेत्र ध्रुवा और गोंड जनजातियों का निवास स्थान है। इनके लिए यह जंगल सिर्फ एक प्राकृतिक संसाधन नहीं बल्कि संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। यहां के मंदिर, लोककथाएँ और पारंपरिक रीति-रिवाज इस जंगल को एक अलग पहचान देते हैं।

UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज बनने की प्रक्रिया

UNESCO की टेंटेटिव लिस्ट का मतलब है कि कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को भविष्य में विश्व धरोहर बनने की संभावना है। यह सूची उन स्थलों की होती है जिन्हें संबंधित देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के लिए नामांकित करता है।

2023 में राज्य सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने इस स्थल को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए एक विस्तृत अध्ययन किया था। इसके अंतर्गत:

✅ जैव विविधता का अध्ययन
✅ पुरातात्विक धरोहर की पहचान
✅ क्षेत्र की अनूठी पारिस्थितिकी का विश्लेषण

इसके बाद इस स्थल को UNESCO की टेंटेटिव लिस्ट में स्थान दिलाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया। अब अगले कुछ वर्षों में यदि यह सभी मानकों को पूरा करता है, तो यह स्थायी विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त कर सकता है।

पर्यटन और रोजगार के लिए नए अवसर

✅ UNESCO की मान्यता मिलने से कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि होगी।
✅ इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, विशेष रूप से गाइड, होटल व्यवसाय, परिवहन और हस्तशिल्प उद्योग को लाभ मिलेगा।
✅ यह स्थल अब अंतरराष्ट्रीय इको-टूरिज्म हब बनने की ओर अग्रसर हो रहा है।

दुनिया के पर्यटन नक्शे पर बस्तर का नया स्थान

पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) ने कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के धुधमरास गाँव को विश्व के 20 प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल किया था। यह इस क्षेत्र की सांस्कृतिक और पारिस्थितिकीय महत्व को दर्शाता है।

अब जब कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान UNESCO की टेंटेटिव लिस्ट में आ गया है, तो उम्मीद है कि यह बहुत जल्द भारत के स्थायी विश्व धरोहर स्थलों में शामिल होगा और बस्तर को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाएगा।