जयपुर, 21 मार्च: राजस्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, और इस विरासत को और अधिक सशक्त करने के उद्देश्य से पर्यटन विभाग द्वारा ‘कल्चरल डायरीज’ नामक सांस्कृतिक कार्यक्रम श्रृंखला की शुरुआत की गई है। उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी की इस पहल का मकसद पारंपरिक भारतीय कला को वैश्विक मंच तक पहुंचाना और स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर देना है।
शुक्रवार को अल्बर्ट हॉल के भव्य प्रांगण में भारतीय कत्थक नृत्य एवं संगीत संस्थान की निदेशक डॉ. स्वाति अग्रवाल और उनकी टीम ने ‘श्रीकृष्ण लीला’ की मनमोहक प्रस्तुति दी। इस आयोजन ने दर्शकों को भारतीय संस्कृति की गहराई और कत्थक की मोहक अभिव्यक्ति से जोड़ दिया।
‘कृष्ण लीला’ की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति
भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े प्रमुख प्रसंगों को कत्थक नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। नृत्य की लयबद्ध मुद्राओं और भावनात्मक अभिव्यक्ति ने हर दृश्य को सजीव बना दिया। इस प्रस्तुति में प्रमुख रूप से निम्नलिखित प्रसंगों को दर्शाया गया:
1️⃣ कृष्ण जन्म – देवकी और वासुदेव की कैद से जन्माष्टमी के शुभ अवसर का मनोरम दृश्य।
2️⃣ माखन चोरी – नटखट कान्हा की बाल लीलाओं को दर्शाती अद्भुत अभिव्यक्ति।
3️⃣ गोपियों संग रास – प्रेम, भक्ति और माधुर्य का संगम।
4️⃣ यशोदा संग वात्सल्य – मां और पुत्र के अटूट प्रेम की झलक।
5️⃣ गोवर्धन पर्वत धारण – इंद्र के प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा करने वाला अद्भुत दृश्य।
6️⃣ असुरों का वध – अधर्म के विनाश और धर्म की विजय का प्रतीकात्मक रूप।
🎶 संगीत और नृत्य का अद्भुत संगम
इस प्रस्तुति को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए संगीत और नृत्य का अद्भुत संयोजन किया गया था। शास्त्रीय संगीत की धुनों पर कत्थक नृत्य की भंगिमाओं ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रत्येक दृश्य में नर्तक-नर्तकियों ने अपने हाव-भाव से कथा को जीवंत कर दिया।
अल्बर्ट हॉल का ऐतिहासिक महत्व और विदेशी पर्यटकों की दिलचस्पी
जयपुर का अल्बर्ट हॉल इस आयोजन के लिए एक आदर्श स्थान था। यह इमारत राजस्थान के सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है, और यहां श्रीकृष्ण की लीलाओं का मंचन इस ऐतिहासिक स्थल की भव्यता को और बढ़ा गया।
विदेशी पर्यटकों के लिए यह कार्यक्रम एक अनूठा अनुभव साबित हुआ। उन्होंने भारतीय संस्कृति की गहराई को महसूस किया और कत्थक नृत्य की सौंदर्यपूर्ण प्रस्तुति की सराहना की। नेपाल, जापान, दुबई सहित विभिन्न देशों में प्रदर्शन कर चुकीं डॉ. स्वाति अग्रवाल की टीम ने अपनी प्रस्तुति से सभी को भावविभोर कर दिया।
‘कल्चरल डायरीज’ – राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच देने की पहल
‘कल्चरल डायरीज’ सिर्फ एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि राजस्थान की पारंपरिक कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का एक मजबूत प्रयास है।
राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए अनेक कलाकारों को मंच प्रदान किया जा रहा है। इस अवसर पर पर्यटन विभाग के अतिरिक्त निदेशक पवन जैन, संयुक्त निदेशक डॉ. पुनीता सिंह और पर्यटक अधिकारी अनीता प्रभाकर सहित कई गणमान्य अतिथि भी उपस्थित थे।
राजस्थान की संस्कृति, कला और परंपराओं को जीवंत रखने और नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की दिशा में ‘कल्चरल डायरीज’ एक सराहनीय कदम है। भगवान श्रीकृष्ण की लीला को कत्थक के माध्यम से देखने का अनुभव न केवल भारतीयों, बल्कि विदेशी दर्शकों के लिए भी अविस्मरणीय रहा।
🙏 यदि आप भी राजस्थान की समृद्ध कला और संस्कृति को करीब से देखना चाहते हैं, तो अगली बार जयपुर में आयोजित होने वाले ‘कल्चरल डायरीज’ कार्यक्रम का हिस्सा जरूर बनें! 🎭
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