अष्टमी पर दर्शन का खास अनुभव – बहुचर माता मंदिर, सूरत की एक पवित्र यात्रा
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 जब भी नवरात्रि का पावन अवसर आता है, देशभर में मंदिरों की रौनक देखते ही बनती है। लोग व्रत, पूजा और कन्या भोज के साथ-साथ माता के दर्शनों के लिए भी निकलते हैं। ऐसे ही एक खास स्थान की बात करें तो गुजरात के सूरत शहर में स्थित बहुचर माता मंदिर अष्टमी के दिन भक्तों से खचाखच भरा होता है।

बहुचर माता मंदिर – क्यों है खास?

बहुचर माता मंदिर ना सिर्फ एक धार्मिक स्थान है, बल्कि आस्था और श्रद्धा का वो केंद्र है, जहां लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। खासकर संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले भक्त यहां आकर माता से आशीर्वाद लेते हैं। माना जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुरादें पूरी होती हैं।

नवरात्रि की अष्टमी के दिन तो यहां सुबह से ही भक्तों की लंबी कतार लग जाती है। लोग परिवार के साथ माता के दर्शन कर, जीवन में सुख-समृद्धि और संतान सुख की कामना करते हैं।

मंदिर की अनोखी परंपराएं

यह मंदिर एक और अनोखी परंपरा के लिए भी प्रसिद्ध है। सूरत में रहने वाले खत्री, गोला और घांची समुदाय सदियों से बहुचर माता को प्रसाद के रूप में व्हिस्की चढ़ाते हैं। यह परंपरा थोड़ी अलग जरूर है, लेकिन आस्था के रूप में इसे पूरी श्रद्धा से निभाया जाता है।

कैसे पहुंचे बहुचर माता मंदिर?

लोकेशन:

मंदिर सूरत के वेड रोड क्षेत्र में स्थित है, जो शहर के भीतर ही है और आसानी से पहुंचा जा सकता है।

दूरी व साधन:

  • अगर आप अपनी गाड़ी या ऑटो से आ रहे हैं, तो आपको सूरत शहर से लगभग 9.5 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी। इसमें 30 मिनट का समय लग सकता है।

  • सूरत रेलवे स्टेशन से यह मंदिर सिर्फ 5 किलोमीटर दूर है। स्टेशन से मंदिर तक पहुंचने में 15-20 मिनट का वक्त लगता है।

  • कैब/ऑटो या लोकल बस से भी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

मंदिर की बनावट और अनुभव

इस मंदिर की एक और खासियत है इसकी बनावट। आमतौर पर मंदिर ऊँचाई पर बने होते हैं, लेकिन बहुचर माता मंदिर में दर्शन के लिए आपको सीढ़ियों से नीचे उतरना होता है। यह जगह एक बावड़ी के अंदर बनी हुई है और इसका इतिहास करीब 500 साल पुराना बताया जाता है।

मंदिर के अंदर जैसे ही प्रवेश करते हैं, एक शांति और ऊर्जा का एहसास होता है। माता की प्रतिमा के सामने दीप जलाकर भक्त अपना सिर झुकाते हैं और मन की बात कहते हैं।

अष्टमी पर मंदिर का माहौल

नवरात्रि की अष्टमी के दिन मंदिर में एक अलग ही चहल-पहल देखने को मिलती है। ढोल-नगाड़ों की आवाज, भक्तों की भीड़, और हर तरफ “जय माता दी” के जयकारे माहौल को भक्ति से भर देते हैं।

यहां आने वाले लोग सिर्फ दर्शन के लिए नहीं, बल्कि अपने बच्चों की भलाई, परिवार की खुशहाली और अच्छी सेहत की कामना के साथ पूजा-अर्चना करने आते हैं।

क्यों बनाएं इस मंदिर को अपनी यात्रा का हिस्सा?

  • बहुचर माता मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था का प्रतीक है।

  • यहां का इतिहास, परंपराएं, और लोक मान्यताएं इसे और भी खास बनाती हैं।

  • अगर आप सूरत में रहते हैं या सूरत आने का प्लान कर रहे हैं, तो नवरात्रि खासकर अष्टमी के दिन इस मंदिर के दर्शन ज़रूर करें।

🙏 नोट: अगर आप अष्टमी पर दर्शन करने का प्लान बना रहे हैं, तो सुबह जल्दी मंदिर पहुंचना अच्छा रहेगा, क्योंकि दोपहर तक भीड़ बहुत बढ़ जाती है।

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