लखनऊ / उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने कहा कि लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान द्वारा प्रकाशित बारहमासा पत्रिका विभिन्न अंचलों में रहने वाले जनजातीय समुदाय के खान-पान, संास्कृतिक विरासत, वेशभूषा, लोकप्रथा तथा मान्याताओं को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। जनजाति लोक कला की विशिष्ट शैली एवं धरोहर आज की पीढ़ी तक पहुंचाने में इस पत्रिका की अहम भूमिका होगी।

पर्यटन मंत्री आज अपने सरकारी आवास 02एम0एन0आर, विक्रमादित्य मार्ग पर लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान उ0प्र0 (संस्कृति विभाग) द्वारा प्रकाशित बारहमासा पत्रिका का विमोचन कर रहें थे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि उ0प्र0 सरकार एवं भारत सरकार के साथ मिलकर जनजातियों के कलाकारों, चित्रकारों, विशेषज्ञों के प्रमाणिक संकलन को इस पत्रिका में समेटा गया है। उ0प्र0 एवं पड़ोसी राज्यों के जनजाति समुदाय जैसे थारो, मुण्डा, उरांॅव अभूच, मारिया, गोंड, धुरवा कोल, कोरवा, संथाल, भील, बैगा, भारिया, हलबा, मरिया, सहरिया आदि के बारे में बहुमूल्य जानकारियों को समाहित किया गया है।


पर्यटन मंत्री ने कहा कि इस पत्रिका में संकलित सामग्री के माध्यम से पर्यटकों शोधार्थियों एवं देश-विदेश के सैलानियों के लिए पठनीय एवं ज्ञानवर्द्धक साबित होगी। इसके साथ उ0प्र0 की संस्कृति को विश्व के मानचित्र पर स्थापित करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि त्रैमासिक पत्रिका बारहमासा के प्रकाशन के लिए लोक एवं जनजाति, कला तथा संस्कृति संस्थान का कार्य सराहनीय एवं उत्साहवर्द्धक है। उन्होंने इस संस्था के निदेशक, श्री अतुल द्विवेदी एवं उनकी टीम को बधाई एवं शुभाकामनाएं दी।

संस्थान के निदेशक, श्री अतुल द्विवेदी ने कहा कि बारहमासा पत्रिका में प्रमाणिक संकलन के साथ लोक कलाकारो, चित्रकारों तथा विशेषज्ञों के अनुभव एवं समसामयिक विचारों को समाहित करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि लोक कलाओं की दृष्टि से जनजातीय समुदाय अत्यंत समृद्ध है। वह अपने अंदर एक जीवन्त इतिहास सजोये हुए है। जनजाति संस्कृति आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा एवं जागरूकता उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।