All About Khonoma - India's First Green Village With No Thefts Ever
Khonoma is named after Khwuno, a little plant that grows in abundance around the village.


जब भी हम छुट्टियों की प्लानिंग करते हैं, तो ज़्यादातर लोग पहाड़ों, समंदर या ऐतिहासिक जगहों की तरफ भागते हैं। लेकिन अगर आप वाकई में किसी ऐसी जगह जाना चाहते हैं जहाँ प्रकृति, इंसान और नैतिकता एक साथ मिलकर जी रहे हों — तो नागालैंड के खोनोमा गांव का नाम ज़रूर याद रखें।

 खोनोमा है भारत का पहला 'ग्रीन विलेज'

2005 में भारत सरकार ने खोनोमा को आधिकारिक रूप से देश का पहला ग्रीन विलेज घोषित किया। ये गांव नगालैंड की राजधानी कोहिमा से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर बसा है, और अपने आप में एक मिसाल है कि कैसे एक पूरा समुदाय पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाकर जी सकता है।

 ‘खोनोमा’ नाम कहां से आया?

खोनोमा नाम पड़ा ‘ख्वुनो’ नामक एक स्थानीय पौधे के नाम पर, जो इस गांव के आस-पास बहुतायत में पाया जाता है। यहां के निवासी मुख्यतः अंगामी जनजाति से ताल्लुक रखते हैं, जो अपने साहस और पारंपरिक युद्ध कौशल के लिए मशहूर हैं।

 बांस और बेंत की कला में माहिर

यह गांव बांस और बेंत की हस्तशिल्प कला के लिए भी जाना जाता है। यहां के लोग हाथ से बनी टोकरियाँ, ट्रे, सजावटी सामान और घरेलू वस्तुएँ बनाते हैं जो पर्यावरण के अनुकूल होती हैं।

 शिकार पर पाबंदी – एक क्रांतिकारी कदम

जहाँ पहले शिकार इस जनजाति की संस्कृति का हिस्सा था, 1998 में पूरे गांव ने मिलकर शिकार पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी। आज ये लोग खेती, पशुपालन और जंगल की उपज से अपना जीवन चलाते हैं। इससे न सिर्फ वन्यजीवों को सुरक्षित माहौल मिला, बल्कि पर्यावरण को भी फायदा हुआ।

 एक ऐसा गांव जहाँ ताले नहीं लगते

ये बात सुनकर आप हैरान हो जाएंगे — खोनोमा में कोई दरवाज़े पर ताला नहीं लगाता। लोग अपना घर, दुकान सब कुछ बिना लॉक के छोड़ जाते हैं और फिर भी कभी चोरी नहीं होती। यहाँ के लोग एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं और "साझा नैतिकता" को अपनी जिंदगी का हिस्सा मानते हैं।

2011 की जनगणना के अनुसार, गांव में 424 परिवार रहते हैं। इतने सालों में गांव की ये ईमानदारी और सामूहिक अनुशासन कभी नहीं टूटा।

 क्यों जाएं खोनोमा?

खोनोमा सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि एक खुला क्लासरूम है — जहाँ आपको सीखने को मिलेगा कि प्रकृति के साथ कैसे सामंजस्य बनाकर जिया जा सकता है।

यहां की कुछ खास बातें:

  • सामुदायिक रूप से संरक्षित जंगल

  • पर्यावरण आधारित पर्यटन (Eco-tourism)

  • मेहमानों के प्रति अतुल्य आत्मीयता

  • साफ-सुथरी, हरियाली से भरपूर गलियां

  • पारंपरिक नागा व्यंजन और रहन-सहन

 खोनोमा ट्रैवल गाइड: कब जाएं, कैसे जाएं?

सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से अप्रैल के बीच
कैसे पहुंचें:

  • नजदीकी एयरपोर्ट: डिमापुर

  • एयरपोर्ट से कोहिमा तक टैक्सी या बस

  • कोहिमा से खोनोमा गांव तक लोकल टैक्सी या गाड़ी

 खोनोमा से क्या सीख सकते हैं?

  • ईमानदारी और नैतिकता का महत्व

  • पर्यावरण का सम्मान करना

  • सामूहिक जिम्मेदारी की ताकत

  • सादा जीवन और उच्च विचार का असली मतलब

 निष्कर्ष

खोनोमा एक गांव नहीं, एक प्रेरणा है। यहाँ आकर लगता है जैसे समय धीमा हो गया है और इंसान फिर से अपनी जड़ों से जुड़ गया है। अगर आप भीड़-भाड़ से दूर, शांति और सादगी की तलाश में हैं, तो खोनोमा आपके लिए एक परफेक्ट जगह हो सकती है।

यहां से लौटने के बाद आपके मन में एक सवाल ज़रूर गूंजेगा –
"बाकी दुनिया ऐसी क्यों नहीं हो सकती?"