......... और फिर टूर प्रोग्राम बनाते हैं
‘प्रणाम पर्यटन ‘ पत्रिका का जुलाई- सितंबर 25 अंक मुझे समय से प्राप्त हो गया । पत्रिका के नाम के ऊपर लाल रंग में लिखा ध्येय वाक्य “ पहले पढ़ें , फिर घूमें “ अत्यंत अर्थवान है ।सबसे पहले संपादक महोदय के संपादकीय की इन पंक्तियों पर मेरा ध्यान गया , “ पर्यटन क्षेत्र में ही हिंदी की सर्वाधिक उपेक्षा देखने को मिल रही है- - - - - “ सच में यह एक गंभीर एवं ज्वलंत विषय है जिसकी तरफ़ संपादक ने हमारा ध्यान आकृष्ट किया है । हम सभी से अपेक्षा है कि इस विषय पर चिंतन -मनन करें और जिससे जितना बन पड़े उतना प्रयास इस विसंगति को दूर करने के लिए करे । शिखर चंद जैन जी द्वारा लिखित “ पर्यटन से पहले बना लीजिए ,ट्रैवेल मैनेजर मैनुअल “ हर यात्री के लिए न केवल पठनीय है अपितु अनुकरणीय एवं अनुसरणीय भी है ।कई बार जिन शहरों में हम वर्षों से रह रहे होते हैं ,वहाँ की ख़ासियतों से हम परिचित नहीं होते । मैं बैंगलोर में वर्षों से रह रहा हूँ पर अशोक वाधवाणी जी का लेख ‘सुंदर शहर बेंगलुरू,’ ,धर्म चंद आहूजा जी का लेख ‘,कल्यानपुरी ही है बेंगलूरु ‘पढ़कर बहुत कुछ नई बातों और जगहों के बारे में जानने का अवसर मिला ।
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डॉ श्याम किशोर पांडेय, Bangalore |
इनके अतिरिक्त ,‘केरल ,प्रकृति ,एकांत और कला का संगम ,’ यात्रा देव भूमि की ‘ ,’ माथेरान : माथे पर जंगल ‘’ ,’जर्मनी का ब्लैक फ़ारेस्ट और ‘ कूकू क्लॉक ‘ ‘ राजा राम की ओरछा ‘,,मेघालय ,बादलों का घर ‘ ,मेरी राजकोट यात्रा ‘आदि लेख भी सूचनाप्रद होने के साथ -साथ इतने विस्तार से और उत्तम ढंग से लिखे गए हैं कि इन स्थानों की यात्रा करने वाले यदि इन लेखों को पढ़कर यात्रा करें तो उन्हें काफ़ी सुभीता होगा और जिन्हें यात्रा नहीं करनी है वे भी इन आलेखों को केवल पढ़कर ही घर पर बैठे- बैठे इन स्थानों की विशिष्टताओं और सौन्दर्य का आनंद उठा सकते हैं ।’ काव्यांजली ‘के अंतर्गत संकलित रचनाएँ भी मार्मिक हैं और गहन- गंभीर संदेश देने वाली हैं ।पत्रिका का मुख- पृष्ठ काफ़ी आकर्षक बन पड़ा है और पत्रिका की सज -धज इतनी उम्दा है कि दूर से ही पहचान में आ जाएगी कि अरे! ये तो प्रणाम पर्यटन है , चलो ,कहीं जाने से पहले इसे पढ़ लेते हैं और फिर टूर प्रोग्राम बनाते हैं ।इस तरह की सुरुचिपूर्ण, संबंधित चित्रों से सुसज्जित, वर्तनी एवं व्याकरणिक दोषों से रहित एवं संग्रहणीय अंक निकालने के लिए संपादक महोदय एवं उनकी पूरी संपादकीय टीम को हार्दिक बधाई । पत्रिका के इस अंक में संकलित लेखों , कविताओं आदि के लेखकों/ कवियों को साधुवाद । पत्रिका इसी सज- धज के साथ निरंतर प्रकाशित होती रहे ।
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