विरासत और संस्कृति का शानदार समागम
अजय पारिख /
राजस्थान की समृद्ध विरासत और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य
से, पर्यटन विभाग और दौसा
जिला प्रशासन द्वारा हर साल आयोजित किया जाने वाला 'आभानेरी फेस्टिवल' इस वर्ष भी अपनी पूरी
भव्यता के साथ संपन्न हुआ। 26 और 27 सितंबर, 2025 को जयपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूर, विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक
चाँद बावड़ी के परिसर में आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम ने देशी-विदेशी पर्यटकों और
स्थानीय लोगों का मन मोह लिया।
आभानेरी, जिसका प्राचीन नाम 'आभा नगरी' था, यानी 'प्रकाशवान शहर', अपनी बावड़ी के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। समय के साथ यह नाम बोलचाल की भाषा में 'आभानेरी' बन गया, जो आज भी इसकी पहचान है। यहाँ की चाँद बावड़ी, जो आठवीं शताब्दी में बनी थी, भारत की सबसे गहरी और बड़ी बावड़ी (स्टेप वेल) मानी जाती है। 13 मंजिलों और 19.5 मीटर की गहराई वाली इस बावड़ी में 1000 से अधिक संकरी सीढ़ियाँ हैं। यह न केवल जल संरक्षण का एक अद्भुत उदाहरण है, बल्कि अपनी शानदार कलाकृति के लिए भी जानी जाती है।
कला और संस्कृति का अद्भुत संगम :
फेस्टिवल के दौरान, राजस्थान की पारंपरिक कला और संस्कृति का अनूठा प्रदर्शन देखने
को मिला। कलाकारों ने गाँव की ऊँट गाड़ी पर सफारी का अनुभव कराया और जगह-जगह नुक्कड़
नाटकों का मंचन किया। शाम को चाँद बावड़ी के बाहर की ओर सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ विशेष
आकर्षण का केंद्र रहीं। इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस फेस्टिवल में, पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के साथ-साथ विशेष रूप से विदेशी पर्यटकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया, जो हेरिटेज हेरिटेज पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक बहुत ही सराहनीय प्रयास है। राजस्थान पर्यटन के अधिकारी, जय सिंह जी, ने स्थल और फेस्टिवल के बारे में विस्तृत जानकारी देकर सभी को लाभान्वित किया।कुल मिलाकर, आभानेरी फेस्टिवल राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने और पर्यटन को प्रोत्साहित करने का एक सफल और प्रशंसनीय कदम है।
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