आईएसएमपी का वाराणसी मीडिया प्रोमोटर्स कान्फ्रेंस 2025 संपन्न
लखनऊ.6 अक्टूबर पुरूषोत्तमपुर(मिर्जापुर)/इंटेलेक्चुअल सोसाइटी ऑफ मीडिया प्रोमोटर्स (आईएसएमपी) का वाराणसी मीडिया प्रोमोटर्स कान्फ्रेंस 2025 मीडिया प्रोमोटरों को इस संदेश के साथ संपन्न हो गया कि कर्त्तव्य निर्वाह में विवेक को ध्यानपूर्वक सुन कर ही पूर्ण करना चाहिए जिसे वेद पंडितों ने समझाया कि नानृतात्पातकं किञ्चित् न सत्यात् सुकृतं परम्।विवेकात् न परो बन्धुः इति वेद विदो विदुः॥ ( वेदों के जानकार कहते हैं कि अनृत (असत्य) के अलावा और कोई पातक नहीं;सत्य के अलावा अन्य कोई सुकृत नहीं और विवेक के अलावा अन्य कोई भाई नहीं.)

महावीर लाॅन एंड बैंक्वेट में तूफानी बारिश के
भयानक थपेड़ों को पछाड़ते हुए मीडिया प्रोमोटरों ने 3
अक्टूबर की शाम को उद्घाटन समारोह में शिरकत किया.महात्मा गांधी तथा पांडेय बेचन
शर्मा 'उग्र' की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन,माल्यार्पण
पश्चात वाराणसी मीडिया प्रोमोटर्स कान्फ्रेंस 2025 के लक्ष्य पर आईएसएमपी चेयरमैन (सेंट्रल
कौंसिल) श्री चंद्रशेखर ने प्रकाश डालते हुए कहा कि,"सत्य को अंगीकार कर प्रत्येक व्यक्ति
में उसे कर्त्तव्य करने को प्रेरित करने का ही कान्फ्रेंस का मुख्य लक्ष्य है.यह
नहीं भूलना चाहिए कि सत्य को अपनाने की शक्ति सभी लोगों को उनकी गांव की मिट्टी की
सुगंध जिसमें संस्कार,व्यवहार,
सांस्कृतिक त्यौहार,गुरू,शिक्षक,भाईचारायुक्त
मैत्री की सीखों को मन से उतार देने पर पूरे समाज को तहस-नहस कर सकती
है"
कान्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में 'मानव मस्तिष्क के विकारों का शमन एवं परिवार का महत्व' विषय पर कानपुर के डाॅ.लक्ष्मी कांत पांडेय (संपादक पत्रिका ‘नव निकष’) ने कहा कि- "मनुष्य के मस्तिष्क में विचारों के संघर्षमय प्रवाह में उसके अवगुणों की प्रायः जीत होती है और गुण पराजित होते हैं.इस मनोदशा पर नियंत्रण पाने के लिए भारतीय परिवारों की मूल ताकत संस्कार को सबल बनाना होगा"
पक्ष-प्रतिपक्ष बहस में 'मानव जीवन की निधि संतुष्टि अथवा भौतिक जरुरतें' पर वाराणसी के श्री सुरेश प्रताप सिंह (वरिष्ठ पत्रकार) ने कहा कि,"जब से बोलने वाले पत्रकारों की बाढ़ आई है तब से पत्रकारिता के आदर्श बदल गये हैं और ये पत्रकार नयी पीढ़ी को भी कर्त्तव्य भ्रष्ट कर रहे हैं" क्लिनिकल सायकोलाॅजी के डाॅ.बी.एन.सिंह(वाराणसी) ने कहा कि,"मानव जीवन में संतुष्टि की सबसे बड़ी निधि संतुष्टि व असंतुष्टि दोनों है".वरिष्ठ प्राध्यापक श्री अरुण कुमार श्रीवास्तव (वाराणसी) ने कहा कि "वस्तुतः मनुष्य जीवन में संतुष्टि कभी नहीं होती उसे जीने के लिए आवश्यकताएं पूरी करने की ललक ही असंतुष्ट बनाती हैं.यह उसकी प्रकृति है.संतुष्टि तो उसे बीच का रास्ता पकड़ने पर ही मिल सकती है"वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार श्री त्रिलोकी प्रसाद एडवोकेट ने कहा कि,"मानव जीवन में सबसे बड़ा सुख उसके संतोष करने में छिपा है लेकिन उसकी मूल जरूरतें खाने,रहने,वस्त्र पूरी होती हों"उद्घाटन सत्र में प्रोमोटर्स कान्फ्रेंस जर्नल अभिवृत्ति अनुनयन का विमोचन किया गया तथा आईएसएमपी सम्मानों का अर्पण किया गया.
कान्फ्रेंस के दूसरे दिन उद्घाटन सत्र में संवाद अभिव्यक्ति की अभिवृत्ति में अनुनयन विषय से संबंधित विचार मंथन की स्थापना करते हुए कान्फ्रेंस संयोजक श्री चंद्रशेखर ने कहा कि- "मनुष्य की संस्कारों से प्रभावित अभिवृत्तियां बनती हैं जो स्थायी प्रकृति की होती हैं लेकिन उनमें परिवर्तन का गुण भी होता है जिसे हम निवेदन के साथ परिवर्तित कर सकते हैं कि यह अभिवृत्ति सभी व्यक्तियो का हित कर सकती है "
सत्र के मुख्य अतिथि वक्ता डाॅ.लक्ष्मी कांत पांडेय(पूर्व विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग पीपीएनपी,पी.जी.कालेज, कानपुर) ने 'धर्मोपदेशक व कवि मानव मन का परिवर्तन करने के मूल माध्यम' विषय पर कहा, "प्रकृति ही सबसे बड़ा और सच्चा धर्म उपदेशक है जिसने मनुष्य को धारण करने योग्य जरूरतों को अपनाने व उपभोग करने को संसाधन दिये जिसे मनुष्य आज तक समझ नहीं पाया.भारत की संस्कृति ने वाल्मीकि,तुलसी,वेदव्यास जैसे महान उपदेशकों को दिया है जिन्होंने मनुष्य की सोच को सुंदर व उपयोगी बनाने में दिशाबोधक की भूमिका निभाई है.आज बहुत से धर्म उपदेशक हैं जो धर्म,राजनीति, समाज,मीडिया में हैं जो मिथ्या बातें समझा कर सुपथ से भटकाने का काम कर रहे हैं.सत्य को धारण करने का जब बोध हो तो मनुष्य समाज भी सुंदर बने."
'मां,गुरु,शिक्षक व साहित्यकार नव धारणा स्थापक' विषय पर विशिष्ट अतिथि हिंदी विभाग,राजीव गांधी विश्वविद्यालय,दोईमुख,अरुणाचल प्रदेश के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ.राजीव रंजन प्रसाद ने कहा,"व्यक्ति की सोच बनाने की पहली पाठशाला मां की गोद ही होती है जहां उसके सुंदर और सार्थक व्यक्तित्व की रचना का मूल आधार जड़ जमाती है और मूल सोच को गढ़ने में गुरू,शिक्षक व साहित्यकार सर्जक होते हैं."अगले विचार मंथन में 'व्यक्ति संवाद,सन्देश,संपर्क का मौलिक माध्यम' पर मुख्य अतिथि वक्ता प्रो.विनोद कुमार पांडेय वाराणसी (पूर्व विभागाध्यक्ष पत्रकारिता व जनसंचार विभाग,गुजरात विद्यापीठ) ने कहा कि,"व्यक्ति की शारीरिक विशेषताएं ही उसे संदेशों का निर्माता,माध्यम बनाती हैं जो उसे सबसे बड़ा मैसेज कम्युनिकेटर के रूप में गढ़ती हैं क्यों कि वह समूह में रहना पसंद करता है जहां संदेशों को भाषा के माध्यम से एक दूसरे को संप्रेषित करता है."
विशिष्ट अतिथि वक्ता प्रो. राघवेन्द्र मिश्र (प्रोफेसर/एचओडी माॅस कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म विभाग इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय,अमरकंटक, मध्य-प्रदेश) ने 'मानव हित के लिए संवाद,सन्देश व संपर्क माध्यमों को चंहुओर प्रसारित करने के तरीके' विषय पर कहा कि,"हजारों टन बारूद गिरा देने के बाद भी शांति की तलाश में इजराइल,रूस ईरान, फलस्तीन,यूक्रेन के साथ वार्ता की मेज पर बैठने की बात करने लगे हैं.इसका सीधा अर्थ है कि व्यक्ति को हथियारों से नहीं आपसी संवाद करने और हल निकालने की पहल सहयोग व विश्वास में निहित है." अतिथि वक्ता श्री प्रदीप श्रीवास्तव लखनऊ (वरिष्ठ पत्रकार व संपादक हिंदी त्रैमासिक पर्यटन पत्रिका ‘ प्रणाम पर्यटन’) ने कहा कि "50 साल पहले की पत्रकारिता और आज की पत्रकारिता में जमीन और आसमान का फर्क है जब वह प्रिंट मीडिया में बहुत सी यथार्थ व देश सापेक्ष रिपोर्टिंग कर चुके हैं तथा आज उसकी ओर देखते हैं तो आज की रिपोर्टिंग बौना लगती हैं."
विचार मंथन के तृतीय सत्र में 'व्यक्ति
की स्थायी अभिवृत्ति में जीवन सापेक्ष अनुनयन'
विषय पर मुख्य अतिथि वक्ता प्रो.शाहिद
अली रायपुर,छत्तीसगढ़ (मीडिया शिक्षाविद,एसोसिएट
प्रोफेसर माॅस कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म विभाग कुशाभऊ ठाकरे राष्ट्रीय पत्रकारिता
एवं जनसंचार विश्वविद्यालय) ने कहा कि,"जीवन में ज्ञान और शिक्षा के साथ स्व विवेक का
शक्तिशाली होना अनिवार्य है जिसके निर्माणक स्रोतों में हमारे धर्म स्थापक,समाज
नियम निर्माता तथा स्वयं की मन में बनी अच्छी धारणाएं हैं.इन्हें समझने व अनुसरण
करने की क्षमता विकसित करनी होगी."'शील,विनम्र,क्षमा,ज्ञान,विवेक,उपकार जैसे गुणों का मानव शिशु में रोपण सार्थक
अभिवृत्ति का स्थापक' विषय पर श्री चौधरी राजेन्द्र चकिया,चंदौली(विचारक, आंदोलनकारी)
ने कहा कि-"मानव जीवन के अनमोल पक्षों को नजरंदाज कर पूंजी को बढ़ावा देने का
प्रयास लंबे समय तक नहीं चल पायेगा क्यों कि सच के मजबूत होने से झूठ दम तोड़ने
लगता है."
विचार मंथन के चौथे सत्र में 'जीवन हित चिंतक की पहचान हैं मीडिया प्रोमोटर्स' पर मुख्य अतिथि वक्ता श्री शाह नवाज अहमद कादरी लखनऊ (प्रखर समाजवादी चिंतक,लेखक,मुख्य ट्रस्टी लोकबंधु राजनारायण के लोग ट्रस्ट) ने कहा कि,"आज जिस तरह से समाज को तोड़ने की साजिशें चल रही हैं वह कभी कामयाब नहीं हो सकती क्यों कि हमारी सांस्कृतिक जड़ें इतनी मजबूत हैं कि कपटपूर्ण विध्वंसक ताकतों को औंधे मुंह पटकने में जरा भी देर नहीं करेंगी."
कान्फ्रेंस के समापन सत्र में
कार्यक्रम संचालक एवं आयोजन समिति सदस्यों का सम्मान किया गया जिसमें श्रीमती
प्रीति वर्माःकानपुर;सहायक शिक्षिका, चेयरमैन आईएसएमपी डिस्ट्रिक्ट कौंसिल,कानपुर आयोजन समिति सदस्यों में डाॅ.रणजीत सिंह
पुरुषोत्तमपुर,मिर्जापुर(समाजसेवी,सेवानिवृत्त
प्रोफेसर राजकीय होम्योपैथिक कालेज कानपुर),श्री नरेन्द्र सिंह (वरिष्ठ समाज सेवी)
पुरुषोत्तमपुर, मिर्जापुर,डाॅ. ब्रह्म देव सिंह नियामतपुर खुर्द,मिर्जापुर, (समाजसेवी,सेवानिवृत्त
प्राचार्य संस्कृत माध्यमिक विद्यालय),श्री ओम प्रकाश सिंह पुरुषोत्तमपुर,मिर्जापुर(समाजसेवी,अध्यक्ष, प्रबंध
समिति माधव विद्या मंदिर इंटर कालेज),श्री तुमुल
सिंह पुरुषोत्तमपुर,मिर्जापुर,श्री राजेश प्रसाद पुरुषोत्तमपुर,मिर्जापुर,समाजसेवी,श्री
अमर सिंह,बगही,मिर्जापुर(सेवानिवृत्त शिक्षक व समाजसेवी),सहयोगी-श्री
प्रेम शंकर पांडेय,श्री शंकर सिंह शाक्या,श्री
पंकज सिंह,श्री त्रिलोक प्रसाद सिंह, श्री
अतुल सिंह,सुश्री तमन्ना सिंह,श्री
अंशु सिंह,श्री राज कुमार दवे,श्री
विकास सिंह
कान्फ्रेंस का सफल और सकारात्मक संचालन आईएसएमपी कानपुर की चेयरमैन श्रीमती प्रीति वर्मा ने किया.संस्थापक/चेयरमैन सेंट्रल कौंसिल आईएसएमपी ने भागीदारी प्रमाण पत्र सौंपा तथा प्रतिभागियों का श्रीमती प्रीति वर्मा कानपुर,उ. प्र. ने आभार व्यक्त किया तथा संस्थापक/चेयरमैन सेंट्रल कौंसिल ने धन्यवाद देकर कान्फ्रेंस का समापन कर दिया. कान्फ्रेंस में सम्मानित होने वालों में मीडिया प्रवर्तक सम्मान डाॅ.लक्ष्मी कांत पांडेय (कानपुर,उ.प्र.), डाॅ.राजीव रंजन प्रसाद (दोईमुख,अरूणाचल प्रदेश),श्री शाह नवाज कादरी (लखनऊ),अशोक कुमार मिश्र(वाराणसी),डाॅ.शाहिद अली (रायपुर) मीडिया प्रेरक सम्मान श्री सुनील कुमार सक्सेना (नोएडा,उत्तर प्रदेश), डाॅ.प्रमिला अवस्थी (कानपुर, उ.प्र),श्री चौधरी राजेंद्र (चंदौली,उत्तर प्रदेश),मीडिया योद्धा सम्मान डाॅ.राजेश सिंह (वाराणसी,उत्तर प्रदेश), डाॅ.विनोद कुमार पांडेय(वाराणसी,उत्तर प्रदेश) श्री त्रिलोकी प्रसाद (वाराणसी,उत्तर प्रदेश),श्री महेश सेठ (वाराणसी),श्री अत्रि भारद्वाज (वाराणसी,उत्तर प्रदेश),श्री राजीव कुमार ओझा (मिर्जापुर,उत्तर प्रदेश),श्री नरेन्द्र मेहता (वाराणसी,उत्तर प्रदेश), मीडिया प्रोमोटर संरक्षण सम्मान श्री प्रभाकर बाबूलाल सूर्यवंशी.
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महावीर लान एंड बैंक्वेट, पुरूषोत्तमपुर |









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