प्रणाम पर्यटन प्रतिनिधि  

भारत के उत्‍तरप्रदेश राज्‍य में मौजूद अयोध्‍या नगरी का हिंदू धर्म में काफी महत्‍व है। यह धरती भगवान राम की जन्‍मभूमि कहलाती है। बरसों से यहां पर राम मंदिर और बावरी मस्जिद  को लेकर एक विवाद छिड़ा हुआ था । लेकिन  इस बीचथाईलैंड में बनी अयोध्‍या नगरी में राम मंदिर बनाने की मंजूरी दे दी गई हैं। हमें पता है कि आप इस अयोध्‍या से वाकिफ नहीं हैं मगर यह बात सत्‍य है कि भारत के अलावा थाईलैंड में भी एक अयोध्‍या है। मगर यह अयोध्‍या भगवान राम की बसाई हुई नहीं बल्कि भारत से आए लोगों द्वारा बसाई गई है। तो चलिए जानते हैं कि इस अयोध्‍या में क्‍या है खास।

कहां बसी है यह अयोध्‍या

दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित देश थाईलैंड भले ही भारत की सीमाओं से जुड़ा न हो और न ही वहां भारत जैसा कुछ हो। मगर यह देश हिंदू धर्म से प्रेरित है। यहां पर राजा राम को भगवान की तरह पूजा जाता है। मजे की बात तो यह है कि यहां पर वाल्‍मीकि द्वारा लिखी गई रामायण को महाकाव्‍य माना जाता है और इस जगह पर हिंदुओं का वर्चस्‍व है। यह स्‍थान छोप्रया पालाक एवं लोबपुरी नदियों के बीच है और इसका नाम भी भारत की अयोध्‍या से प्रेरित है।

कैसे बसी थाईलैंड की अयोध्‍या

ऐसा कहा जाता है कि यहां भगवान राम कभी नहीं आए मगर भारत से कई तमिल आकर यहां बस गए। तमिल लोगों ने जगह पर बस कर हिंदू धर्म का खूब प्रचार प्रसार किया। यहां का राजा भी भगवान राम पर विश्‍वास करने लगा। वर्ष 1360 तक यहां पर बोद्ध धर्म को मानना अनिवार्य था। मगर जब राजा ने देखा कि यहां पर लोग भगवान राम को ज्‍यादा मान रहे हैं तो वह भी भगवान राम को मानने लगे और इसी को यहां का अधिकारिक धर्म बना दिया।

यहां आकर क्‍या देखें

थाईलैंड की अयोध्या का मुख्य आकर्षण है शहर के मध्य स्थित प्राचीन पार्क। इस पार्क में बिना शिखर वाले खंभों, दीवारों, सीढिय़ों एवं भगवान बुद्ध की खूबसूरत प्रतिमाएं लोगों का ध्यान बरबस ही खीच लेती हैं। यहां पर सबसे ज्यादा खास वह प्रतिमा है जिसमें बुद्ध का सिर सैंड स्टोन से बनाया गया है और एक पीपल के वृक्ष की जड़ों में जकड़ा हुआ है। यह वृक्ष अयोध्या में वट महाथाट यानी 14वीं शताब्दी के प्राचीन साम्राज्य की स्मृति चिन्हों वाले मंदिरों के अवशेषों में मौजूद है। अगर आप थाईलैंड आएं तो यहां की अयोध्‍या देखने और यह मंदिर देखने जरूर आएं।

बौद्ध मंदिर के अवशेष

एक कथा के अनुसार यहां के राजा एक दिन ध्‍यानमग्‍न होकर बैठे थे तब ही जमीन से उन्‍हें एक रौशनी आती प्र‍तीत हुई और इस रौशनी में उन्‍हें भगवान बौद्ध की प्रतिमा दिखाई। तब उन्‍होंने तय किया कि यहां पर भगवान बौद्ध का मंदिर बनवाना चाहिए। तब यहां एक भव्‍य मंदिर का निर्माण कराया गया है। अब यहां मंदिर के अवशेष ही बचे हैं।

इन बातों पर भी करें गौर

थाईलैंड का प्राचीन नाम "सियाम" था ।

सन् 1612 तक सियाम की राजधानी अयोध्या ही थी। लोग इसे वहाँ की भाषा "अयुतथ्या" के नाम से जानते हैं। सन् 1612 ईस्वी में थाईलैंड की राजधानी बना दी गई थी।

थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रन्थ आज भी "रामायण" है l जिसे थाई भाषा में 'रामिकिन्ने' कहते हैं l जिसका अर्थ "राम-कीर्ति" होता है।

थाईलैंड में 'रामिकिन्ने' पर आधारित नाटक और कठपुतलियों का प्रदर्शन देखना धार्मिक कार्य माना जाता है।