भारत से दुनिया में रामायण की गूंज:कुलपति डॉ. भीमराय मेत्री
हिंदी विश्वविद्यालय में ‘राम काव्य की परंपरा एवं उसका प्रदेय’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन
वर्धा, 30 नवंबर 2023: महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति डॉ. भीमराय मेत्री ने कहा कि भारत से पूरी दुनिया में रामायण का दर्शन पहुँच रहा है। भारत विश्व गुरु बनने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने कहा कि राम के व्यक्तित्व और कृतित्व को जानने तथा समझने का काम रामायण उत्सव के माध्यम से किया जा रहा है। विश्वविद्यालय में रामायण उत्सव के आयोजन से अध्यापक और विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं। डॉ. मेत्री ‘रामायण उत्सव’ की प्रमुख गतिविधियों के अंतर्गत ‘राम काव्य की परंपरा एवं उसका प्रदेय’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र, विशिष्ट वक्ता के रूप में पूर्व प्राचार्य, वरिष्ठ ललित निबंधकार प्रो. श्रीराम परिहार, साहित्य विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अखिलेश दुबे, साहित्य विभाग के अध्यक्ष तथा संगोष्ठी संयोजक प्रो. अवधेश कुमार मंचासीन थे। कार्यक्रम में भारतीय हिंदी परिषद के सभापति, लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. पवन अग्रवाल ने बतौर मुख्य वक्ता ऑनलाइन संबोधित किया। विश्वविद्यालय के गालिब सभागार में दो दिवसीय (28 एवं 29 नवंबर) को रामायण उत्सव के अंतर्गत ‘राम काव्य की परंपरा एवं उसका प्रदेय’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन किया गया।
पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि विश्व का मानचित्र रामायण संस्कृति के अंतर्गत है। सम्राट अशोक और सम्राट विक्रमादित्य आदि ने भारतीय मूल्य, परंपरा को विश्व में पहुँचाया। उन्होंने कहा कि लोक गीतों में राम कथा का पल्लवन अद्भूत है। हमारे लोक साहित्य में राम की महिमा और मूल्यों का प्रदर्शन किया गया है। प्रो. श्रीराम परिहार ने कहा कि भारतीय मानस का मूल चरित्र शांति प्रिय और लोकमंगल का है। राम के चरित्र में हमारा लोक मानस रम गया है। शांति और शौर्य राम के चरित्र के केंद्र में है। विश्वनीति में राम के चरित्र की प्रेरणा झलकती है। उन्होंने कहा कि राम कथा हमारे जीवन की आचार संहिता निर्धारित करती है। प्रो. पवन अग्रवाल ने विभिन्न रामायण परंपराओं की चर्चा करते हुए कहा कि रामायण ने मानवतावादी विचारधारा का प्रसार कर संस्कृति से जोड़ने का काम किया। उनका कहना था कि अच्छा मनुष्य बनने की प्रक्रिया राम काव्य से शुरू होती है।
समापन कार्यक्रम में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के पुरस्कार कुलपति तथा मुख्य अतिथियों की ओर से प्रदान किए गए। प्रथम पुरस्कार विद्यार्थी सुहेल अली, द्वितीय पुरस्कार यशवर्धन और तृतीय पुरस्कार शिवेश तिवारी को दिया गया। सत्र का साहित्य विद्यापीठ के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक नाथ त्रिपाठी ने संचालन किया तथा संगोष्ठी के संयोजक प्रो. अवधेश कुमार ने आभार माना। इस अवसर पर अतिथि, विश्वविद्यालय के अध्यापक, अधिकारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी प्रत्यक्ष तथा आभासी माध्यम से बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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