सोनभद्र में स्थित फासिल्स पार्क को यूनेस्को की सूची में दर्ज कराने की तैयारी
लखनऊ। 09 अप्रैल 2024। उत्तर प्रदेश पर्यटन ने सोनभद्र जिले में स्थित 1400 मिलियन वर्ष पुराने फासिल्स पार्क को यूनेस्को की सूची में दर्ज कराने की तैयारी तेज कर दी है। विभाग की टीम ने सोमवार व मंगलवार को वनविभाग, बीएचयू व डोजियर बनाने वाली संस्था के साथ भ्रमण—मंथन किया, साथ ही आगे की रूपरेखा तय की। इस दौरान जिलाधिकारी के साथ बैठक भी की गई।
प्रदेश के सोनभद्र जिले में सलखन गांव के पास फासिल पार्क है। यहां पाए जाने वाले जीवाश्म शैवाल और स्ट्रोमेटोलाइट्स प्रकार के जीवाश्म हैं। अनुमान के मुताबिक यह 1400 मिलियन वर्ष पुराना है। इसकी देखरेख वन विभाग करता है। पर्यटन विभाग इसे यूनेस्को की सूची में दर्ज कराने के लिए प्रयासरत है। उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म विकास बोर्ड ने डोजियर बनाने के लिए पिछले दिनों टेंडर के माध्यम से द्रोनाह नामक संस्था का चयन किया है।
विशेष कार्याधिकारी, पर्यटन मुख्यालय आकाश प्रियदर्शी, द्रोनाह संस्था की डॉ. शिखा जैन, रिटायर्ड आइएफएस अफसर डॉ. वीबी माथुर, बीएचयू के टूरिज्म मैनेजमेंट विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रवीण राना और सल्खन फासिल्स के प्रभागीय वन अधिकारी ने भ्रमण किया।
यह होता है फासिल
पृथ्वी पर किसी समय जीवित रहने वाले अति प्राचीन सजीवों के परिरक्षित अवशेषों या उनके द्वारा चट्टानों में छोड़ी गई छापों को जो पृथ्वी की सतहों या चट्टानों की परतों में सुरक्षित पाये जाते हैं उन्हें जीवाश्म या फासिल कहते हैं। जीवाश्म से कार्बनिक विकास का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है। विभिन्न प्रकार के जीवाश्मों के निरीक्षण से पता चलता है कि पृथ्वी पर अलग-अलग कालों में भिन्न-भिन्न प्रकार के जन्तु हुए हैं। प्राचीनतम जीवाश्म निक्षेपों में केवल सरलतम जीवों के अवशेष हैं किन्तु अभिनव निक्षेपों में क्रमशः अधिक जटिल जीवों के अवशेष प्राप्त होते हैं। ज्यों-ज्यों हम प्राचीन से नूतन कालों का अध्ययन करते हैं, जीवाश्म जीवित सजीवों से बहुत अधिक मिलते-जुलते प्रतीत होते हैं।
महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है सोनभद्र
देश में शायद ही कोई ऐसा जिला हो जिसकी सीमा पर चार राज्य स्थित हों। प्रदेश का सोनभद्र छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड और मध्यप्रदेश को छूता है। यहां प्रकृति का अप्रतिम सौंदर्य है तो चंद्रकांता का विजयगढ़ किला भी यहीं है। सोनांचल और ऊर्जांचल के नाम विख्यात इस जिले की तुलना देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने स्विट्जरलैंड से की थी।
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