लखनऊ / उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने कहा है कि सोनभद्र में स्थित सलखन जीवाश्म पार्क को यूनेस्कों की सूची में दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू करा दी गयी है। इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए आईयूसीएन के डायरेक्टर टिम बैडमैन के साथ विस्तार से विचार-विमर्श किया जा रहा है। उनके सुझावों को धरातल पर उतारने का हरसंभव प्रयास किया जायेगा। सोनभद्र स्थित सलखन जीवाश्म पार्क 1400 मिलियन वर्ष पुराना है। अमेरिका के एलोस्टोन पार्क को अब तक विश्व का सबसे बड़ा जीवाश्म पार्क माना जाता है। श्री टिम इस समय दिल्ली में चल रही 46वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक में हिस्सा लेने भारत आए हैं। यह जानकारी देते हुए पर्यटन मंत्री ने बताया कि इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो प्रकृति संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग के क्षेत्र में काम करता है। 1948 में स्थापित आईयूसीएन प्राकृतिक दुनिया की स्थिति और इसे सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक उपायों पर वैश्विक प्राधिकरण बन गया है। आईयूसीएन अब दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे विविध पर्यावरण नेटवर्क है, जो 1400 से ज्यादा सदस्य संगठनों और 16,000 विशेषज्ञों के ज्ञान, संसाधनों और पहुँच का उपयोग करता है। यह विविधता और विशेषज्ञता आईयूसीएन को प्राकृतिक दुनिया की स्थिति और इसे सुरक्षित रखने के लिए ज़रूरी उपायों पर वैश्विक प्राधिकरण बनाती है। श्री जयवीर सिंह ने बताया कि इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र में प्रकृति संरक्षण पर अधिक प्रतिनिधित्व और ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दे रहा है। समिति विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए संभावित स्थलों पर विचार-विमर्श करेगी और खतरे में पड़े विश्व धरोहर स्थलों की सुरक्षा के लिए आवश्यक संरक्षण और प्रबंधन कार्यों पर निर्णय लेगी। इस आयोजन में 150 से अधिक देशों के 2,500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। विश्व धरोहर समिति की बैठक दिल्ली के भारत मंडपम में 21 से शुरू हुई है जो कि 31 जुलाई तक चलेगी। फासिल पार्क को यूनेस्को की सूची में दर्ज कराने के लिए उत्तर प्रदेश इको टूरिज्म बोर्ड की दिल्ली में आईयूसीएन के विशेषज्ञों के साथ बैठक सकारात्मक रही। बैठक में आईयूसीएन के निदेशक श्री टिम बैडमैन, वीबी माथुर (सेवानिवृत्त आईएफएस और पूर्व निदेशक, डब्ल्यूआईआई), द्रोणा से डॉ. शिखा, बीएसआईपी में भूविज्ञानी और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शिल्पा पांडे और उत्तर प्रदेश पर्यटन के ओएसडी आकाश प्रियदर्शी थे। पर्यटन मंत्री ने बताया कि वन विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और डोजियर तैयार करने में विशेषज्ञता रखने वाली संस्था द्रोण ने पहले ही अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार पार्क के भूवैज्ञानिक महत्व और इसकी विरासत की जांच कर ली है। सलखन फॉसिल पार्क प्राकृतिक विरासत श्रेणी में आता है, और भूविज्ञान के विशेषज्ञ और विषय उत्साही श्री टिम बैडमैन, पार्क को विश्व विरासत सूची में शामिल करने में गहरी रुचि रखते हैं। उन्होंने कहा कि इस पार्क को देखने के लिए बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। इसको संरक्षित करके धरोहर के रूप में अगली पीढ़ी को सौंपने के लिए जीवाश्म पार्क के आसपास आवश्यक बुनियादी सुविधायें भी सृजित की जा रही हैं।