Baba Balak Nath


 अगर आप बाबा बालक नाथ जी के भक्त हैं और हर साल उनके दर्शन के लिए हमीरपुर स्थित दियोटसिद्ध मंदिर जाते हैं, तो आपके लिए एक जरूरी खबर है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस पावन स्थल पर आते हैं और बाबा जी को रोट प्रसाद अर्पित करते हैं। इस बार 14 मार्च से बाबा बालक नाथ जी का एक महीने तक चलने वाला भव्य मेला शुरू होने जा रहा है, जिसमें देश-विदेश से हजारों भक्त शामिल होंगे।

रोट प्रसाद को लेकर नया नियम

बाबा बालक नाथ मंदिर में चढ़ाए जाने वाले रोट प्रसाद को लेकर एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। परंपरा के अनुसार, भक्तजन इस प्रसाद को बाबा जी को अर्पित करने के बाद अपने घर भी ले जाते हैं और बाद में इसका सेवन करते हैं। लेकिन अब एक नया नियम लागू किया गया है—रोट प्रसाद को 20 दिनों से अधिक नहीं रखा जा सकेगा।

स्थानीय व्यापारियों के मुताबिक, अब मंदिर के बाहर बिकने वाले प्रसाद के हर पैकेट पर उसकी उत्पादन तिथि अंकित करनी होगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भक्तजन केवल ताजा और स्वास्थ्यवर्धक प्रसाद ही ग्रहण करें।

रोट की गुणवत्ता को लेकर जांच

सोलन जिले के कंडाघाट स्थित समग्र परीक्षण प्रयोगशाला ने कुछ समय पहले बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा बेचे जा रहे रोट का सैंपल लिया था, जिसमें पाया गया कि 3 महीने पुराना रोट खाने योग्य नहीं था। इसके बाद, दियोटसिद्ध व्यापार बोर्ड ने इस पर सख्ती दिखाई और शूलिनी विश्वविद्यालय में जांच कराई, जिसमें स्पष्ट हुआ कि रोट केवल 20 दिनों तक ही खाने योग्य रहता है।

रोट प्रसाद कैसे बनता है?

रोट एक विशेष प्रसाद है, जो गेहूं, चीनी और देसी घी (या वनस्पति घी) से बनाया जाता है। इसकी शेल्फ लाइफ नमी और रसायनों पर निर्भर करती है, और 20 दिनों के बाद यह खाने लायक नहीं रहता। इसलिए अब भक्तों को ताजे रोट प्रसाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नए दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।

मेला और आस्था का संगम

हर साल लगने वाला बाबा बालक नाथ जी का मेला श्रद्धा और भक्ति का अनोखा संगम होता है। इस दौरान हिमाचल प्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और अन्य राज्यों से हजारों भक्त यहां पहुंचते हैं।

अगर आप भी इस बार बाबा जी के दर्शन के लिए जाने की योजना बना रहे हैं, तो मंदिर प्रशासन के नए नियमों को ध्यान में रखें और पवित्र प्रसाद को निर्धारित समय सीमा के भीतर ग्रहण करें। इससे न केवल स्वास्थ्य संबंधी सावधानी बरती जा सकेगी, बल्कि मंदिर की परंपरा को भी सुरक्षित रखा जाएगा।

क्या आप इस साल बाबा बालक नाथ मेले में जाने वाले हैं? अपनी यात्रा योजनाओं और अनुभवों को हमारे साथ साझा करें! 🚩