चित्रकूट धाम मण्डल व झांसी मण्डल उ0प्र0 की
ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान के केन्द्र
लखनऊ
/ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के चतुर्दिक विकास हेतु
प्रारम्भ की गई मण्डलवार जनप्रतिनिधि संवाद श्रृंखला के अन्तर्गत आज यहां अपने
सरकारी आवास पर आहूत एक उच्चस्तरीय बैठक में झांसी और चित्रकूट धाम मण्डल के
जनप्रतिनिधियों के साथ विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। इस अवसर पर
उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से उनके निर्वाचन क्षेत्रों की परिस्थितियों, जनअपेक्षाओं
और विकासात्मक प्राथमिकताओं के विषय में व्यक्तिगत रूप से संवाद किया। बैठक का
उद्देश्य केवल योजनाओं की समीक्षा नहीं, बल्कि
जनप्रतिनिधियों की ज़मीनी समझ और अनुभव के माध्यम से राज्य के दूरवर्ती क्षेत्रों
की समस्याओं को प्राथमिकता के साथ समझना और समाधान सुनिश्चित करना था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बुन्देलखण्ड
क्षेत्र के विकास को सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। चित्रकूट धाम मण्डल
भगवान श्रीराम की तपोस्थली के रूप में प्रतिष्ठित है। झांसी मण्डल रानी लक्ष्मीबाई
की वीरगाथा से जुड़ा है। यह दोनों ही मण्डल उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक
और आध्यात्मिक पहचान के केन्द्र हैं। इन क्षेत्रों का पुनरुत्थान और समेकित विकास ‘नये
उत्तर प्रदेश’ के निर्माण का मूलाधार है। बैठक में
जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी विकास कार्यों के प्रस्तावों पर
विस्तार से चर्चा हुई। मुख्यमंत्री जी ने लोक निर्माण विभाग और धर्मार्थ कार्य
विभाग को निर्देशित किया कि जनप्रतिनिधियों से समन्वय कर प्रस्तावित कार्यों की
प्राथमिकता तय की जाए तथा समयबद्ध,
पारदर्शी और गुणवत्तापूर्ण ढंग से
क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए।
जनप्रतिनिधियों द्वारा दिए गए कुल प्रस्तावों के अन्तर्गत झांसी मण्डल के तीन जनपदों (झांसी, जालौन और ललितपुर) से कुल 691 कार्य प्रस्तावित किए गए हैं। इनकी अनुमानित लागत 4,901 करोड़ रुपये है। इसी प्रकार, चित्रकूट धाम मण्डल के चार जनपदों (बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट और महोबा) से कुल 397 कार्य प्रस्तावित हैं, जिन पर 3,875 करोड़ रुपये की लागत प्रस्तावित है। इस प्रकार दोनों मण्डलों से कुल 1,088 कार्य प्रस्तावित हुए हैं, जिनकी कुल लागत 8,776 करोड़ रुपये है। इनमें से झांसी और बांदा जनपद क्रमशः 1,916 करोड़ रुपये और 1,825 करोड़ रुपये की लागत के साथ अपने-अपने मण्डलों में शीर्ष पर हैं। प्रस्तावित कार्यों में ब्लॉक मुख्यालयों तक कनेक्टिविटी, इण्टर-कनेक्टिविटी सड़कें, धार्मिक स्थलों तक पहुँच मार्ग, लॉजिस्टिक्स हब, बाईपास, आर0ओ0बी0/अण्डरपास, फ्लाईओवर, मेजर एवं माइनर ब्रिज, रोड सेफ्टी उपाय, सिंचाई अवसंरचना और पाण्टून ब्रिज जैसे अनेक कार्य शामिल हैं। यह सभी कार्य भौगोलिक चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों को जोड़ने का कार्य करेंगे, साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देने में भी सहायक सिद्ध होंगे।
मुख्यमंत्री ने बुन्देलखण्ड में जहां कहीं भी इण्टरस्टेट कनेक्टिविटी बेहतर करने की आवश्यकता है, उसे विधायकों की अनुशंसा के आधार पर पहले चरण की कार्ययोजना में ही शामिल करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री जी ने नगर विकास विभाग को निर्देश दिए कि विभाग द्वारा किसी परियोजना का प्रस्ताव तैयार करने से पूर्व स्थानीय जनप्रतिनिधियों का मार्गदर्शन जरूर प्राप्त कर लिया जाए। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के अनुभव और स्थानीय आवश्यकताओं की समझ शासन के लिए मार्गदर्शक होती है। हम केवल योजनाएं बनाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनका समयबद्ध और ज़मीनी क्रियान्वयन ही हमारी पहचान है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र को उपेक्षा के अंधकार से निकालकर हम उसे उत्तर प्रदेश के उज्ज्वल भविष्य की रेखा पर ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि शासन की मंशा हर योजना को नतीजों तक पहुँचाने की है। इसके लिए जवाबदेही तय की जाएगी, तकनीक का समुचित उपयोग किया जाएगा और कार्यों की गुणवत्ता पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सभी जनप्रतिनिधिगण अपने-अपने क्षेत्र में प्रस्तावित कार्यों की सतत निगरानी करें और स्थानीय जनभावनाओं के अनुरूप योजनाओं को आकार दिलवाने में सक्रिय भूमिका निभाएं।
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